Hindi, asked by ammabhagwan, 1 year ago

story bàat athani ki in drama form

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Answered by ruchipatasariya
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बात अठन्नी की, कहानी में कथाकार श्री सुदर्शन ने कहानी के माध्यम से समाज के कड़वे सच का परिचय करवाया है .बाबू जगत सिंह पेशे से इंजिनियर थे .रसीला इनके यहाँ नौकर का काम करता था . एक बार रसीले को अपने बच्चे के बीमार होने की सूचना मिली . उसके पास रुपये नहीं थे . मालिक इंजिनियर साहब उसे जो वेतन देते थे ,वह उसी से अपना घर चलाता था . अपने बीमार बच्चों के इलाज़ के लिए रसीला ने अपने मालिक से रुपये मांगे ,परन्तु उन्होंने साफ़ - साफ़ इनकार कर दिया . रसीले ने पड़ोसी के चौकीदार रमज़ान से कुछ रुपये उधार लिए और अपने बच्चों के इलाज़ के लिए पैसे भेज दिए . बच्चे स्वस्थ हो गए .कुछ समय बीतने पर रसीला ने रमज़ान को पैसे लौटा दिए परन्तु आठ आना शेष रह गया .क़र्ज़ के बोझ से वह शर्मिंदा होकर रमज़ान से आँखें नहीं मिलाता था .एक दिन बाबू जगत सिंह ने रसीला को पाँच रुपये की मिठाई खरीद कर लाने को कहा . रसीले ने पाँच रुपये की जगह साढ़े चार रुपये की मिठाई खरीदी और रमज़ान को अठन्नी लौटाकर समझा की क़र्ज़ उतर गया .लेकिन अपनी इस चालाकी को वह इंजिनियर साहब के नज़रों से छिपा नहीं पाया . रसीला की चोरी पकड़ी गयी . जगत सिंह ने उसे बहुत पीटा और पुलिस को पाँच रुपये देकर कहा की कबुलवा लेना .इंजिनियर साहब के पड़ोसी शेख सलीमुद्दीन थे जो कि पेशे से जिला मजिस्ट्रेट थे . उन्ही की कचहरी में रसीला पर मुकदमा चलाया गया जहाँ शेख साहब ने उसे छह महीने की सज़ा सुनाई . यह फैसला सुनकर रमज़ान को बहुत क्रोध आया ,उसने कहा की यह दुनिया न्याय नगरी नहीं अंधेर नगरी है क्योंकि अठन्नी की चोरी पर इतनी कठोर सज़ा सुनाई गयी ,जबकि बड़े - बड़े अपराधी पकडे नहीं जाते है .अतः गरीबों पर ही न्याय का शासन चलता है .
बात अठन्नी की शीर्षक की सार्थकता
साहित्य ही समाज का दर्पण होता है ."बात अठन्नी की" कहानी में कथाकार श्री सुदर्शन ने कहानी के माध्यम से समाज के कड़वे सच का परिचय करवाया है . पूरी कहानी अठन्नी पैसे के इर्द -गिर्द घूमती दिखाई देती है .
रसीला को अपने बीमार बच्चों के इलाज़ के लिए अपने मित्र जो की पड़ोसी का चौकीदार रमज़ान है ,से पैसे लेकर भेजता है . बच्चों के ठीक हो जाने पर थोड़े -थोड़े करके पैसे चुका देता है ,लेकिन सिर्फ आठ आने बकाया रह जाते है .एक दिन अपने मालिक जगत सिंह द्वारा पाँच रुपये की मिठाई मगएं जाने पर वह आठ आने की हेरा -फेरी पर अपना उधार रमज़ान को चुका देता है .लेकिन उसकी यह चोरी मालिक द्वारा पकड़ ली जाती है और बहुत मार पड़ती है तथा वह पुलिस को सौंप दिया जाता है . अदालत में उसे ६ महीने की सज़ा सुना दी जाती है . इस पकार उसके साथ बहुत अन्याय हुआ था .
इस दुनिया में गरीबों पर अमीरों द्वारा सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि करने के लिए अत्याचार किये जाते है .सिर्फ आठ आने के लिए रसीला को मार भी खानी पड़ी तथा ६ माह की सज़ा भी दी गयी है . पूरी कहानी आरंभ से अंत तक अठन्नी के चारों घूमती है . अतः बात अठन्नी की शीर्षक ,पूरी तरह से सार्थक एवं उचित है .
रसीला का चरित्र चित्रण
बात अठन्नी कहानी का मुख्य पात्र रसीला है . वह एक गरीब व्यक्ति है .वह बाबू जगत सिंह के यहाँ नौकर है .सिर्फ दस रुपये के मासिक वेतन पर वह कई बर्षों से जगत सिंह के यहाँ काम कर रहा है . बार बार आग्रह करने पर भी उसका वेतन मालिक नहीं बढ़ाते है ,कहते है कहीं और ज्यादा मिले तो तुरंत चले जाओ .रसीला को लगता है कि यहाँ उसको बहुत सम्मान मिलता है ,इसीलिए यहाँ रहना उचित है .

ammabhagwan: thanks a lot but I want story baat athani ki should be in form of drama
ammabhagwan: Or baat athani ki kahani ki in ka Natya rupantar
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