Hindi, asked by prafulbarik2, 4 months ago

Story in Hindi for class 5

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Answered by aishi9jha
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Answer:

रामू एक ईमानदार लकड़हारा था। एक दिन पेड़ की एक शाखा काटते काटते उसकी कुल्हाड़ी अचानक नदी में गिर गई। नदी के किनारे खड़ा होकर वह फूट-फूटकर रोने लगा।

जल्दी ही एक देवी नदी में से प्रकट हुईं और उन्होंने पहले उसे सोने की कुल्हाड़ी और उसके बाद चांदी की कुल्हाड़ी देने को कहा। रामू ने दोनों कुल्हाड़ियाँ लेने से इंकार कर दिया।

अब उसे देवी ने असली कुल्हाड़ी दी और रामू ने वह कुल्हाड़ी खुशी-खुशी ले ली। उसकी ईमानदारी से खुश होकर उस देवी ने उसकी कुल्हाड़ी के साथ बाकी दोनों कुल्हाड़ियाँ भी दे दी।

उसने यह सारी घटना अपने पड़ोसियों को बताई। उनमें से एक के मन में लालच आ गया। वह भी नदी के पास गया तथा उसने अपनी कुल्हाड़ी नदी में फेंक दी और रोने का नाटक करने लगा।

तब देवी ने प्रकट होकर उसे जब सोने की कुल्हाड़ी दो तो उसने लपककर वह कुल्हाड़ी लेने की कोशिश की। देवी को गुस्सा आ गया और वह गायब हो गईं। इस प्रकार वह अपनी असली कुल्हाड़ी भा। गँवा बैठा।

Explanation:

Answered by joshiparesh197
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Explanation:

प्रारम्भ में लोमड़ी ने शेर के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन उसे कभी देखा नहीं था। घोडा ने उसे बताया, “शेर बहुत बड़ा और शक्तिशाली होता है।” जेबरा ने कहा, “वह हम पर हमला करके हमें मार कर खा जाता है।”

जिराफ ने कहा, “उसकी गर्दन तो ऐसी है कि हम सूखे पत्ते की तरह काँपने लग जाते हैं।” ये सब बातें सुनकर लोमड़ी बहुत डर गई। एक दिन लोमड़ी ने मुड़कर देखा तो सामने से शेर आ रहा था।

वह डर गई और खड़ी हो गई। शेर ने उसे सूंघा और हल्का सा गरजा, फिर वह चुपचाप चला गया। लोमड़ी ने तब कहीं जाकर राहत की साँस ली। दूसरे दिन वह नदी के दूसरे किनारे पर खड़ा था।

उसे देखते ही लोमड़ी फिर डर गई लेकिन इस बार उसका डर पहले से कुछ कम था। तीसरे दिन लोमडी अपने दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शेर से टकरा गई। उसने थोड़ा-सा साहस इकट्ठा किया और थोड़ा झिझकते हुए कहा,

“मुझे माफ कर दीजिए, श्रीमान्।” शेर मुस्कुराकर बोला, “कोई बात नहीं।” जल्द ही लोमड़ी का डर गायब हो गया और अब वह उससे बिना डरे बात करने लगी।

शिक्षा: स्वयं परखे बिना कोई भी बात नहीं माननी चाहिए।

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