story on Mata ka vatsliya in Hindi
Answers
जब था गर्भ में, बढ़ गई माँ की धड़कन l
पाया कोख में, खुशी के आँसू से हुआ स्पंदन ll
रो न पाया उस पल, बढ़ गई माँ की धड़कन l
होठों का हुआ स्पंदन, खिल उठा आँगन ll
पी न पाया दुग्ध, बढ़ गई माँ की धड़कन l
नजर मिली माँ से, हुआ दुग्ध का स्पंदन ll
बोल न पाए मुँह से, बढ़ गई माँ की धड़कन l
माँ - माँ ध्वनि सुनी, मुस्कुरा उठे नयन ll
चल न पाए कदम, बढ़ गई माँ की धड़कन l
हुआ स्पंदन धरा से, गूंज उठा आँगन ll
Answer:
Explanation:
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की मां, माता यशोदा की जयंती मनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को माता देवकी ने जन्म दिया था, उन्हें पिता वासुदेव ने गोकुल में रहने वाले यशोदा और नंद को सौंप दिया था। माता यशोदा के सौभाग्य की तुलना किसी से नहीं की जा सकती, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उनका पुत्र बनकर उन्हें वात्सल्य सुख का सौभाग्य प्रदान किया।
भगवान ने अपने भक्तों की इच्छा के अनुसार रूप तो अनेक धारण किए, परन्तु उनको छड़ी लेकर ताड़ना देने का सौभाग्य केवल माता यशोदा को ही प्राप्त हुआ। ऐसा सुख, ऐसा वात्सल्य संसार में किसी को न तो प्राप्त हुआ है और न ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, गोवर्धन धारण समेत अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख प्रदान किया। एक बार बाल कृष्ण ने मिट्टी खा ली, यह देखकर माता यशोदा उनका मुख खुलवाकर देखने लगीं। संपूर्ण ब्रह्मांड ही उन्हें अपने लला के मुख में दिखाई दिया तो वह आश्चर्यचकित रह गईं।
11 वर्ष छह माह तक माता यशोदा का महल भगवान श्रीकृष्ण की किलकारियों से गूंजता रहा। इसके बाद श्रीकृष्ण को मथुरापुरी ले जाने के लिए अक्रूर जी आ गए। श्रीमद्भागवत कथा के अनुसार एक बार जब श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र गए तो यह समाचार सुनकर यशोदा माता, नंद बाबा और गोकुलवासी उनसे मिलने गए थे। यह भगवान श्रीकृष्ण से उनकी आखिरी मुलाकात थी। अपनी लीला समेटने से पहले भगवान ने माता यशोदा को गोलोक भेज दिया।