Hindi, asked by sravani8064, 1 year ago

Style is a reflection of your attitude and personality meaning in hindi

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Answered by adarshbsp903
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सामान्यतः व्यक्तित्व से अभिप्राय व्यक्ति के रूप, रंग, कद, लम्बाई, चैड़ाई अर्थात् शारीरिक संरचना, व्यवहार तथा मृदुभाषी होने से लगाया जाता है। ये समस्त गुण व्यक्ति के समस्त व्यवहार का दर्पण है। वास्तव में व्यक्तित्व केवल जीवन के विभिन्न पक्षों का सम्मिश्रण मात्र नहीं है। इसके विकास या गठन का क्रम अत्यन्त व्यापक तथा जटिल है। व्यक्तित्व अनेक कारकों या व्यवहारों का समग्र रूप या सम्मिश्रण है। व्यक्तित्व की अवधारणाः अर्थ व परिभाषा

व्यक्तित्व अंग्रेजी के पर्सनालिटी(Personality) शब्द का रूपान्तर है। अंग्रेजी के इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के ‘पर्सोना’ (Persona) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- ‘नकाब’। यूनानी लोग नकाब या मुखौटा पहनकर मंच पर अभिनय करते थे, ताकि दर्शकगण यह न जान सकें कि अभिनय करने वाला कौन है ?

व्यक्तित्व का अर्थ मनुष्य के व्यवहार की वह शैली है जिसे वह अपने आन्तरिक तथा बाह्य गुणों के आधार पर प्रकट करता है। व्यक्ति के बाह्य गुणों का प्रकाशन उसकी पोशाक, वार्ता का ढंग, आंगिक अभिनय, मुद्राएँ, आदत तथा अन्य अभिव्यक्तियाँ हैं। मनुष्य के आंतरिक गुण हैं उसकी अन्तःप्रेरणा या उद्देश्य, संवेग, प्रत्यक्ष, इच्छा आदि। व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के समस्त मिश्रित गुणों का वह प्रतिरूप है जो उसकी विशेषताओं के कारण उसे अन्य व्यक्तियों से भिन्न इकाई के रूप में स्थापित करता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के प्रतिबिम्ब का प्रेक्षण उसके अवलोकन या उसके द्वारा की गई अनुक्रिया के आधार पर अनुमानित किया जा सकता है।

परिभाषाएँ-

मन के अनुसार- ‘‘व्यक्तित्व एवं व्यक्ति के गठन, व्यवहार के तरीकों, रूचियों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं और तरीकों का सबसे विशिष्ट संगठन है।’’

बिग व हण्ट के अनुसार- ‘‘व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार-प्रतिमान और इसकी विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।’’

वारने के अनुसार- ‘‘व्यक्तित्व, व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन है, जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है।’’

रैक्स के अनुसार- ‘‘व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है।’’

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि व्यक्तित्व, व्यक्ति के विषय में एक समग्र धारणा है।

व्यक्तित्व के प्रकार

व्यक्तित्व के सन्दर्भ में अलग-अलग शिक्षा शास्त्रियों ने अपने विचार पृथक-पृथक प्रकट किये है। इनमें से निम्नांकित तीन वर्गीकरण को साधारणतः स्वीकार किया जाता है, पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण अन्तिम को माना जाता है-

शरीर रचना प्रकार

समाजशास्त्रीय प्रकार

मनोवैज्ञानिक प्रकार

शरीर रचना प्रकार- जर्मन विद्वान क्रेश्मर ने शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताए हैं- (1) शक्तिहीन (2) खिलाड़ी (3) नाटा।

समाजशास्त्रीय प्रकार- स्प्रेंगर ने अपनी पुस्तक “Types of Men” में व्यक्ति के सामाजिक कार्यों और स्थिति के आधार पर व्यक्तित्व के छः प्रकार बताए है; यथा-

सैद्धान्तिक

राजनीतिक

आर्थिक

धार्मिक

सामाजिक

कलात्मक

3.मनोवैज्ञानिक प्रकार मनोवैज्ञानिकों ने मनोवैज्ञानिक लक्षणों के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है। मनोविश्लेषणवादी युग ने व्यक्तित्व को दो भागों में बाँटा है- 1. अन्तर्मुखी 2. बहिर्मुखी तथा दोनों के मिश्रित उभयोमुखी

अन्तर्मुखी व्यक्तित्व- ऐसे व्यक्तित्व का व्यक्ति चिन्तनशील होता है तथा अपनी ही ओर केन्द्रित रहता है। इस व्यक्तित्व के लक्षण, स्वभाव, आदतें, अभिवृत्तियाँ आदि बाह्य रूप में प्रकट नहीं होते हैं। इसीलिए, इसको अन्तर्मुखी कहा जाता है। इसका विकास बाह्य रूप में न होकर आन्तरिक रूप में होता है। अन्तर्मुखी व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएं है-

ऐसे व्यक्ति का बाह्य जगत की वस्तुओं से कम अनुराग होता है।

वे एकांकी होते है।

वे कर्तव्य परायण होते है तथा समय का सदैव ध्यान रखते है।

यह व्यवहार कुशल नहीं होता तथा हँसी, मजाक एवं व्यर्थ के छलों आदि में नहीं फँसता।

युंग ने अन्तर्मुखी व्यक्तियों को विचार प्रधान, भावप्रधान, तर्क प्रधान व दिव्यदृष्टि प्रधान चार रूपों में विभक्त किया है।

यह चिन्ताग्रस्त होते है तथा अपनी वस्तुओं व कष्टों के प्रति सजग होते है।

ये भाव प्रधान होते है, आत्मचिन्तन करते है तथा आत्मोदार हेतु लीन रहते है।

ये स्वयं के लिए चिन्तशील होते है तथा शान्त मुद्रा में रहते है।

अच्छे लेखक होते हैं परन्तु अच्छे वक्ता नहीं क्योंकि चिन्तन का धरातल प्रबल होता है।

ये प्रायः प्रतिक्रियावादी होते हैं तथा यथार्थ को अपने स्वभाव के अनुरूप ढालने का प्रयास करते है।

बहिर्मुखी व्यक्तित्व ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति की रूचि बाह्य जगत में होती है। वे अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते है। वे संसार के भौतिक और सामाजिक लक्ष्यों में विशेष रूचि रखते है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

इनमें कार्यकुशलता की मात्रा अन्तर्मुखी से अधिक होती है।

ये सबको प्रसन्न करने वाले होते है तथा प्रशंसकों से घिरे रहने की कामना करते हैं।

ये विचार प्रधान तथा व्यवहार-कुशल होते हैं तथा निर्णय भी भावों के अनुरूप ही लेते हैं।

वातावरण के साथ आसानी से अनुकूलन कर लेते है।

आत्मचिन्तनशील नहीं होते परन्तु सभी के विचारों के आधार पर अपना विचार प्रकट करते हैं।

बाह्य क्रियाओं की ओर संवेदनशील होते हैं।

ये धारा प्रवाह बोलने वाले होते है।

स्वयं की पीड़ा, परिस्थिति की चिन्ता नहीं करते व चिन्तामुक्त होते है।

उभयमुखी व्यक्तित्व कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते है, जो दोनों का सम्मिश्रण होते हैं, उन्हें उभयोमुखी या विकासोन्मुखी कहते है। इस प्रकार अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग गुण होने के कारण उनके दृष्टिकोण में अन्तर पाया जाता है। इनके दृष्टिकोणों का अध्ययन कर हम इनके व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों में विकास करने का प्रयास कर सकते हैं तथा उचित मार्गदर्शन परिवार में माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक ले सकते हैं।

Answered by Simran2008
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शैली आपके दृष्टिकोण और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है

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