Hindi, asked by sandeepjaat9914, 6 months ago

suhavani subah ka essay​

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Answered by anu4248
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Answer:

कितना खुशनुमा-सा दृश्य था आज सुबह का !

निशा रानी को सुबह अपने चादर में लपेटती जा रही थी .... रात भी मानो सुबह के बाहों में आकर उसी के उजले रंग में रंगने को मचल रही थी ......फिजा में तैरती हुई प्रजिन भी वातायन के रास्ते आकर मेरे चेहरे पर अपना कोमल स्पर्श करके कानो में फुसफुसा कर बाहर के उस सजीव माहौल में घुल मिल-जाने को आमंत्रित कर गई .....बाहर झाँक कर देखा तो चिड़िया आपस में एक-दुसरे को रात का स्वप्न सुनाने में लगी थी ! कुछ पंक्षी फिजा में यूँ तैर रहे थे जैसे की वे खिलौने हो और वे रिमोट दबाते ही टप्प से नीचे गिर पड़ेंगे ! फिजा में बहकती हुई फूलो की भीनी-भीनी दीवानी खुशबू सुबह को और भी खुशनुमा बना रही थी ! दूर कहीं मंदिर से शंख-ध्वनि और घंटियों एवं मंजीरो के मधुर ध्वनि के साथ राम-राम -- सीता-राम की आवाज़ कर्णप्रिय लग रही थी ... सच में आज का प्रातः कालीन दृश्य कितना अद्भुत,कितना खुशनुमा था !!

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