sumitranandan pant ka vyaktitva aur krititva per nibandh likhiye
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सुमित्रानंदन पंत व्यक्तित्व और कृतित्व पर निबंध
सुमित्रानंदन पंत व्यक्तित्व
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 में कौसानी बागेश्वर(उत्तराखण्ड) में हुआ था।हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत ने चौथी कक्षा से कविता लिखना शुरु कर दिया था।
सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। पन्त जी प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाते है।
छायावादी तथा प्रगति-वादी अनुभूति के कवि सुमित्रानन्दन पंत ऐसे कवि रहे हैं, जिन्हें “प्रकृति के सुकुमार कवि” ‘प्रकृति के चितेरे कवि’, ‘कोमल कल्पना के कवि आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है ।
सुमित्रानंदन पंत वस्तु वर्णन, नारी सौन्दर्य, छन्द योजना, अलंकार योजना में कोमलता के साथ-साथ पन्तजी ने प्रकृति के कण-कण में सबसे ज्यादा योगदान दिया है| पन्तजी की कविताओं में मानवतावादी स्वर है । वह कहते हैं: ”सुन्दर है विहग, सुन्दरतम है मानव ।” उनकी रचनाओं में नारी मुक्ति की कामना प्रबल रूप से आधारित है ।