summary of 3 chapter of naya rasta
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अमित और मायाराम जी जब घर पहुंचे तो एक सज्जन उनका इंतजार कर रहे थे | वह एक धनी व्यक्ति थे जिनका नाम धनीमल था | वे अपनी बेटी सरिता का रिश्ता लेकर आए थे | सरिता की फोटो और शादी में पांच लाख खर्च करने का प्रस्ताव दिया | मायाराम जी दहेज़ विरोधी थे और उनके प्रस्ताव को ना कह दिया | उन्होंने बताया की उन्होंने एक लड़की देख कर आ रहे हैं जो पसंद हैं | मायाराम जी अपने बेटे को पैसों में जकड़ना नहीं चाहते थे | धनीमल जी ने फिर भी एक बार विचार करने को कह कर चले गए | सबने जब बाद में सोचा तो मायाराम जी को मीनू ही ठीक लगी पर माताजी को पैसों का लालच आ गया | उन्होंने सरिता की तरफदारी की | अमित को शंका थी की बड़े घर की लड़की संयुक्त परिवार में रह पाएगी पर माँ की तर्क के आगे कोई कुछ न कह सका | मीनू को मना करना तय हुआ पर समझ नहीं आया कैसे | माताजी ने सुझाया की पत्र में मीनू की जगह आशा का रिश्ता माँगा जाए जिस पर लड़की वाले खुद ही ना कह देंगे | मायाराम जी ने पत्र लिखा पर इन सब से खुश न थे और अपराधबोध हो रहा था | उन्हें लड़कीवालों पर होने वाले पीड़ा का आभास था |
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