Summary of aa dharti kitna deti hai
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आ :धरती कितना देती है का सारांश
आ :धरती कितना देती है कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है|
कविवर पंत ने स्वार्थ तथा भाग्यवाद के प्रति विद्रोह तथा परिश्रम ,त्याग ,परोपकार तथा मानवता के महत्व का वर्णन किया गया है। आ : धरती कितना देती है कवि की मानवतावादी अभिव्यक्ति है। जब भी मनुष्य स्वार्थ में आकर कोई कार्य करता है तो उसका प्रतिफल अच्छा नहीं होता किन्तु जैसे ही वह परोपकारी से प्रेरित हो कर कार्य करता है तब वह कार्य सम्पन्न करता है तब उसका फल अच्छा होता है|
एक बार कवि ने अपने बचपन में धरती में कुछ पैसे बोए थे और सोचा उन में से रुपयों के हल निकलेंगे | उनका यह सोचना था की जिस प्रकार अन्न की खेती होती है उसी प्रकार पैसे भी उग जाएंगे | कुछ समय में उन्होंने आंगन में सेम के कुछ बीज बोए | कुछ ही दिनों में वह सेम के बीज फुट निकले|
इसी बात को उन्होंने सत्य मान लिया जैसे बोते है वैसे ही पाते है | यह धरती माता के समान है| अपने पुत्रों के प्रति उस में बहुत स्नेह और ममता है| कहानी का शीर्षक निकलता है की धरती पर प्रेम , त्याग , सज्जनता , उदारता और मानवता का दाना बोना है | यही मानवता का विकास होगा |