Summary of Adarsh kukut grah by markandey
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मार्कण्डेय की "आदर्श कुक्कुट गृह" देश में प्रचलित कागजी योजनाओं और व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में है। मार्कंडेय का कहना है कि भोले भाले ग्राम वासियों को बह फुसलाकर "आदर्श कुक्कुट गृह" का हिस्सा बना लिया जाता है। ग्राम वासियों को झूठे सपने दिखाए जाते हैं। बड़े बड़े लोग जैसे तहसीलदार, जिला विकास अधिकारी शामिल होते हैं। आदर्श कुक्कुट गृह की शुरुवात कलक्टर साहब द्वारा की जाती है। कुछ ही समय के बाद भाषणों में व्यक्ति और काग़ज़ों में लिखित सपने धुंधले पडने लग जाते हैं।
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