Summary of bhed aur bhediya
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यह एक व्यंग्यात्मक कहानी है ।जो बिल्कुल समाज के सत्य को प्रस्तुत करता है। इस कहानी में जनता को भेड़ के रूप में और नेताओं को चालाक भेड़िए के रूप में संबोधित किया गया है। भ्रष्ट नेताओं के कालाबजारी आम जनता के मासूमियत को व्यक्त किया गया है कि किस प्रकार जनता को नेता अपने चिकनी बातों में उलझाए रखकर वोट मांगने चले जाते हैं।
फिर भूल जाते हैं सब कुछ।
आज के समाज के वास्तविकता को इस कहानी में व्यक्त किया गया है कि जनता भेंड़ की झूंड में भेड़िए से शिकार होने के लिए चलती है।
नेता को बस अपना खजाना भरने से मतलब है बाकी दुनिया जाएं बार में।
फिर भूल जाते हैं सब कुछ।
आज के समाज के वास्तविकता को इस कहानी में व्यक्त किया गया है कि जनता भेंड़ की झूंड में भेड़िए से शिकार होने के लिए चलती है।
नेता को बस अपना खजाना भरने से मतलब है बाकी दुनिया जाएं बार में।
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