Hindi, asked by dhignehakumFatu, 1 year ago

summary of bhor aur barkha

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Answered by Bhriti182
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'भोर' का अर्थ सुबह या प्रातकाल का समय होता है और 'बरखा' का अर्थ वर्षा होता है। यह दो अलग-अलग पद हैं। लेकिन इन्हें एक साथ दिए जाने के कारण इनका नाम आपस में जोड़कर रखा गया है 'भोर और बरखा'। इस अध्याय के अंदर मीरा द्वारा रचित पदों का समावेश किया गया है। मीरा कृष्ण को अपना आराध्य देव मानती है। इन दोनों पदों में वह कृष्ण को आधार मानकर प्रार्थना करती हैं। प्रथम पद में भोर के समय यशोदा माँ के द्वारा श्री कृष्ण को जगाने का प्रयास किया जा रहा है। सारे गोकुलवासी जाग गए हैं परन्तु कृष्ण अभी तक सो रहे हैं। वह उन्हें विभिन्न प्रकार से जगाने का प्रयास करती हैं। वह बहुत से उदाहरण देती हैं। द्वितीय पद में मीरा सावन के महीने में बहुत प्रसन्न है। क्योंकि इस ऋतु में उन्हें कृष्ण के आने का समाचार प्राप्त हुआ है।
Answered by mallsuman33364
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Answer:

kutte

Explanation:

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