summary of binda in hindi translated to hindi
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बिंदा - महादेवी वर्मा
बिंदा एक बहुत ही भावुक कथा है |
एक बार लेखिका के स्कूल में एक पिता अपनी बेटी का प्रवेश कराने आए थे | जब उन्होंने उस पिता से कहा की प्रवेश पत्र में गलत उम्र भर दिया है शायद तब उसने कहा की वह चौदह साल की ही है | लेखिका को उसका छोटा सिकुड़ा सा बदन देख कर लगा की वो सिर्फ नौ साल की होगी | जब पिता ने बताया की उसकी दूसरी माँ है तब लेखिका का मन तो अतीत के पन्ने पलट उठा और उन्हें उनकी सहेली बिंदा याद आई |
बड़ी ही छोटी उम्र थी दोनों की जब उनकी दादी और नाना जी का देहांत हो गया था और उन्हें यह भी ज्ञात न था की मृत्यु एक अमिट जीवन चक्र है | उनके घर कुत्ते और चिड़ियों का बसेरा, भिखारन का आना, ये सब देख कर उन्हें ज्ञात हुआ था की जीवन में सब कुछ बच्चों की जरूरतों के हिसाब से चलता है |
पर बिंदा, उनकी पड़ोसन और सहेली , कुछ अलग जान पड़ती थी | घर के जो काम उनके लिए असंभव थे, बिंदा उन्हें जादूगर की भाँती कर लेती थी | बिंदा के घर उसकी नयी अम्मा रहती थी जो किसी गुडिया सामान सज सवर कर रहती | हर दिन नन्हे मोहन को तेल लगाती पर उनके ऊँचे स्वर और बिंदा के बोल विचित्र लगते थे | अक्सर वो उसे कोसती , मरने की बात कहती, और उनके आदेशों का पालन न करने पर सजा देती |
बिंदा ही आँगन से चौके तक फिरकनी-सी नाचती दिखाई देती। उसका कभी झाडू देना, कभी आग जलाना, कभी आँगन के नल से कलसी में पानी लाना, कभी नई अम्मा को दूध का कटोरा देने जाना सब खेल लगता था पर जब कोई भूल हो जाती तो नयी अम्मा उसे धूप में घंटों खड़ा कर देती या पुरे दिन रसोई के खम्बे से बाँध देती | एक दिन एक तारे की ओर इशारा करके बिंदा ने बताया की वो उसकी माँ है तब उन्हें एहसास हुआ की लोगो की दो माँ होती है | जब एक माँ तारा बन जाती है तब नयी अम्मा जैसी माँ आती है| एक दिन बिंदा की नन्ही उंगलियाँ उबले दूध के बर्तन को न थाम सकीं और जलता दूध नीचे गिर गया , उसका पाँव भी जला पर अम्मा की सजा के डर से उसने लेखिका को कहा की उसे कहीं छुपा दे| वो दोनों गायो की घास रखे जाने वाले कमरे में छुप गए | और दूसरे दिन बिंदा को घर ले जाया गया और दोनों का मिलना बंद हो गया | एक दिन सबकी ऑंखें बचाकर लेखिका बिंदा से मिलने घर चली गयीं तो उन्होंने देखा की बिंदा अकेली एक खाट पर पड़ी है और उसकी नयी अम्मा नन्हे मोहन के साथ ऊपर रहती थी | बिंदा को चेचक हुआ था और उसकी देखभाल करने को कोई न था | तब वो वापस आयीं और उनकी माँ ने उससे न मिलने का आदेश दिया |
कुछ दिन बाद जब अपनी माँ को ऑंखें पोछते हुए बाहर जाते देखा तब उन्होंने देखा की बिंद के घर भीड़ है | उन्हें लगा उसका विवाह हो रहा है और वो आमंत्रित नहीं हैं | कुछ दिनों बाद जब अपनी माँ से उन्हीने पूछा की बिंदा ससुराल से कब वापस आएगी तब उन्हें पता चला की बिंदा तो मर कर तारा बन गयी है और अपनी माँ के पास चली गयी है |
बिंदा एक बहुत ही भावुक कथा है |
एक बार लेखिका के स्कूल में एक पिता अपनी बेटी का प्रवेश कराने आए थे | जब उन्होंने उस पिता से कहा की प्रवेश पत्र में गलत उम्र भर दिया है शायद तब उसने कहा की वह चौदह साल की ही है | लेखिका को उसका छोटा सिकुड़ा सा बदन देख कर लगा की वो सिर्फ नौ साल की होगी | जब पिता ने बताया की उसकी दूसरी माँ है तब लेखिका का मन तो अतीत के पन्ने पलट उठा और उन्हें उनकी सहेली बिंदा याद आई |
बड़ी ही छोटी उम्र थी दोनों की जब उनकी दादी और नाना जी का देहांत हो गया था और उन्हें यह भी ज्ञात न था की मृत्यु एक अमिट जीवन चक्र है | उनके घर कुत्ते और चिड़ियों का बसेरा, भिखारन का आना, ये सब देख कर उन्हें ज्ञात हुआ था की जीवन में सब कुछ बच्चों की जरूरतों के हिसाब से चलता है |
पर बिंदा, उनकी पड़ोसन और सहेली , कुछ अलग जान पड़ती थी | घर के जो काम उनके लिए असंभव थे, बिंदा उन्हें जादूगर की भाँती कर लेती थी | बिंदा के घर उसकी नयी अम्मा रहती थी जो किसी गुडिया सामान सज सवर कर रहती | हर दिन नन्हे मोहन को तेल लगाती पर उनके ऊँचे स्वर और बिंदा के बोल विचित्र लगते थे | अक्सर वो उसे कोसती , मरने की बात कहती, और उनके आदेशों का पालन न करने पर सजा देती |
बिंदा ही आँगन से चौके तक फिरकनी-सी नाचती दिखाई देती। उसका कभी झाडू देना, कभी आग जलाना, कभी आँगन के नल से कलसी में पानी लाना, कभी नई अम्मा को दूध का कटोरा देने जाना सब खेल लगता था पर जब कोई भूल हो जाती तो नयी अम्मा उसे धूप में घंटों खड़ा कर देती या पुरे दिन रसोई के खम्बे से बाँध देती | एक दिन एक तारे की ओर इशारा करके बिंदा ने बताया की वो उसकी माँ है तब उन्हें एहसास हुआ की लोगो की दो माँ होती है | जब एक माँ तारा बन जाती है तब नयी अम्मा जैसी माँ आती है| एक दिन बिंदा की नन्ही उंगलियाँ उबले दूध के बर्तन को न थाम सकीं और जलता दूध नीचे गिर गया , उसका पाँव भी जला पर अम्मा की सजा के डर से उसने लेखिका को कहा की उसे कहीं छुपा दे| वो दोनों गायो की घास रखे जाने वाले कमरे में छुप गए | और दूसरे दिन बिंदा को घर ले जाया गया और दोनों का मिलना बंद हो गया | एक दिन सबकी ऑंखें बचाकर लेखिका बिंदा से मिलने घर चली गयीं तो उन्होंने देखा की बिंदा अकेली एक खाट पर पड़ी है और उसकी नयी अम्मा नन्हे मोहन के साथ ऊपर रहती थी | बिंदा को चेचक हुआ था और उसकी देखभाल करने को कोई न था | तब वो वापस आयीं और उनकी माँ ने उससे न मिलने का आदेश दिया |
कुछ दिन बाद जब अपनी माँ को ऑंखें पोछते हुए बाहर जाते देखा तब उन्होंने देखा की बिंद के घर भीड़ है | उन्हें लगा उसका विवाह हो रहा है और वो आमंत्रित नहीं हैं | कुछ दिनों बाद जब अपनी माँ से उन्हीने पूछा की बिंदा ससुराल से कब वापस आएगी तब उन्हें पता चला की बिंदा तो मर कर तारा बन गयी है और अपनी माँ के पास चली गयी है |
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