summary of chapter 1 sakhi class 10th in Hindi
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साखी
"साखी" कबीर जी की अन्य रचनाओं में से एक सुन्दर रचना है। कबीर जी कहते हैं कि हमे ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमारा घमंड ना झलकता हो। इससे हमारे मन को शांति मिलेगी और सुनने वाले को भी शांति की महसूस होगी। जिस प्रकार कस्तूरी हिरण के नाभि में होती है जिसकी खोज में वह जंगल में घूमता रहता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपने हृदय में बसे ईश्वर को ना देखकर उसे अन्य जगह ढूँढता रहता है। जब तक मनुष्य के ह्रदय में अहंकार का वास रहेगा तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति होना असंभव है।
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