summary of full poem 'yamraj ki disha' in hindi.
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'यमराज की दिशा' कविता में कवि चंद्रकांत देवताले ने मृत्यु की दिशा के बारे में बताते हुए, हमें सांकेतिक तौर पर कुछ कहने का प्रयास किया है। कवि के अनुसार उनकी माँ दक्षिण दिशा में पैर करके सोने के लिए मना करती थीं। उनके अनुसार दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता की दिशा है। उस दिशा पर पैर रखकर सोने से यमराज बुरा मान जाते हैं। परन्तु आज चारों दिशाओं पर जीवन विरोधी शक्तियाँ अपना वर्चस्व फैला रही हैं। इनके कारण आज हर दिशा मृत्यु की दिशा बन गई है। अब आप किसी भी दिशा की तरफ़ जाओ आपको विध्वंस, हिंसा, आदि का साम्राज्य देखने को मिल जाएगा। यमराज तो मृत्यु के देवता माने जाते हैं। परन्तु इस तरह के असामाजिक तत्व अपने स्वार्थ हितों के लिए अन्य लोगों को मृत्यु देने का कार्य करते हैं। उनके अनुसार आज ये तत्व सर्वव्यापक हैं।
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यमराज की दिशा नामक कविता में चारो और फैलती विनाशकारी और शोषक शक्तियो की और संकेत किया गया है । कवि की माँ कवि को बताया करती थी की वह ईश्वर से बात करती है । ईश्वर ने उसे बताया था की यमराज दक्षिण दिशा में रहता है ।
अतः दक्षिण की तरफ पैर करके कभी मत सोना । यमराज मृत्यु का देवता है। अगर दक्षिण की तरफ पैर करके सोये तो यमराज क्रुद्ध हो जाएगा और यमराज को क्रोधित करना अच्छा नहीं होता । कवि ने ऐसा ही किया ।
ऐसा करने से कवी को लाभ भी हुआ । यह लाभ था की वह कभी भी दिशा नहीं भुला । वह यमराज का घर देखना चाहता था । वह दक्षिण दिशा में दूर दूर तक भी गया । पर अफ़सोस वह कभी भी दक्षिण दिशा के छोर तक नहीं पहुँच सका ।
क्योंकि दक्षिण दिशा अनंत है ।
★ AhseFurieux ★
अतः दक्षिण की तरफ पैर करके कभी मत सोना । यमराज मृत्यु का देवता है। अगर दक्षिण की तरफ पैर करके सोये तो यमराज क्रुद्ध हो जाएगा और यमराज को क्रोधित करना अच्छा नहीं होता । कवि ने ऐसा ही किया ।
ऐसा करने से कवी को लाभ भी हुआ । यह लाभ था की वह कभी भी दिशा नहीं भुला । वह यमराज का घर देखना चाहता था । वह दक्षिण दिशा में दूर दूर तक भी गया । पर अफ़सोस वह कभी भी दक्षिण दिशा के छोर तक नहीं पहुँच सका ।
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