Hindi, asked by Kanah9736, 1 year ago

summary of hindi chapter samriti class 9

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Answered by nishchay05
325

Answer:

स्मृति' यह पाठ लेखक श्रीराम शर्मा के बाल्यकाल की सत्य घटना पर आधारित है। लेखक ने इस घटना का बहुत ही सजिव और रोचक वर्णन किया है। इस कहानी में रोचकता का इतना सुंदर समावेश किया गया है कि पाठक कहानी के अंत तक स्वयं को कहानी से बांधे रखता है। यह घटना लेखक के बाल्यकाल में घटी थी। उनके बड़े भाई ने उन्हें दूसरे गाँव में पत्र डालने के लिए भेजा था। गाँव के बाहर पड़ने वाले कुएँ में कौतुहलवश बच्चे साँप को देखने के लिए रूक गए थे। कुएँ में पत्थर फेंकते समय उनके पत्र कुएँ में गिर गए। यहीं से कहानी में रोमांच का आरंभ होता है। बच्चे किस तरह कुएँ से साँप के रहते हुए पत्र को निकालते हैं और इस सब में उन्हें अनेक तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस कहानी के माध्यम से बच्चों के बालपन की सहजता, खतरे की स्थिति में संवेदनशीलता की कमी और साहस को बड़े सही ढ़ग से दर्शाया गया है।

Answered by beutyflowers1010
77

Answer:

लेखक अपने छोटे भाई को कुएं के बाहर छोड़कर चिट्ठियां निकालने के लिए सांप वाले कुएं में दाखिल हुआ है ।उसने सोचा था कि वह डंडे से सांप को मारकर चिट्ठियां लेकर बाहर आ जाएगा। किंतु कुएं का व्यास बहुत कम था वहां डंडा चलाना संभव ही नहीं था। चिट्टियां सांप के आस-पास ही गिरी हुई थी। लेखक के सामने दो रास्ते थे। एक तो यह कि वह सांप को मार दे और दूसरा यह किस सांप से बिल्कुल छेड़खानी किए बगैर चिट्टियां उठा ले। लेखक ने दूसरी रास्ते को छोड़ने का निश्चय किया। जैसे ही लेखक ने धीरे-धीरे सांप के पास पड़ी चिट्ठी की ओर डंडा बढ़ाया तो सांप ने डंडे पर हमला कर दिया। लेखक के हाथ से डंडा छूट गया है । उसने डंडा उठाकर फिर चिट्ठी उठाने की कोशिश की तो सांप ने डंडे पर दोबारा हमला किया और डंडे पर चिपट गया। झिझक, सहम और आतंक से लेखक की ओर डंडा खिंच गया और उसके व सांप के स्थान बदल गए। लेखक ने फौरन चिट्टियां उठाकर धोती के एक छोर में बांध ली। इस तेजी में डंडा सांप के पास गिर गया था। लेखक ने कुएं के बगल से थोड़ी सी मिट्टी मुट्ठी में लेकर सांप के दाई और फेंकी। सांप तुरंत उस मिट्टी पर झपटा और लेखक ने तेज़ी से डंडा उठा लिया। इसके बाद वह डंडा लेकर ३६ फुट ऊपर चढ़कर कुएं के बाहर सही सलामत पहुंच गया। उसकी बांहे पूरी तरह थक गई थी और छाती फूल कर धौकनी के समान चल रही थी; किंतु चिट्टियां लेकर कुएं के बाहर पहुंच जाने की उसे बहुत खुशी हो रही थी।

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