summary of खुशबू रचते हैं हाथ in 10 points (in hindi please) please don't spam me
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खुशबू रचते हैं हाथ कविता का सार – Khusboo Rachte Hai Hanth Kavita Ka Saar :
- प्रस्तुत कविता ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने अगरबत्तियाँ बनाने वाले मज़दूरों का चित्रण किया है।
- उन मज़दूरों में बूढ़े, बच्चे, जवान, स्त्रियाँ, बीमार आदि सभी वर्ग के लोग शामिल हैं|
- ये सभी लोग स्वयं गंदगी में रहते हैं, किंतु अपनी मेहनत से कई प्रकार की खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं।
- उन्हें बनाने में उनके खुद के हाथ ख़राब हो गए हैं।
- उनके खुद के घर बदबू से भरे हुए है।
- इसी वजह से कवि ने अपनी विडम्बना व्यक्त की है। उनके अनुसार एक ओर तो दुनिया के सभ्य लोग इन गंदे मुहल्लों में रहने वाले लोगों से घृणा करते हैं, तो दूसरी ओर इन्हीं के गंदे हाथों द्वारा बनायी गयी अगरबत्तियों को भगवान् के सामने जलाकर अपनी इच्छापूर्ति हेतु प्रार्थना करते हैं।
- अपने घर को सुगन्धित बनाते हैं।
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Answer:-
- कवि कहता है कि वह नए बसते इलाकों तथा नए-नए बनते मकानों के कारण रोज अपने घर का रास्ता भूल जाता है। ... प्रस्तुत कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने हमारा ध्यान समाज के उपेक्षित वर्ग की ओर खींचने का प्रयास किया है। ये अगरबत्ती बनाने वाले लोग हैं जो की हमारी जिंदगी को खुश्बुदार बनाकर खुद गंदगी में जीवन बसर कर रहे है
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