Hindi, asked by ashketchump8645, 1 year ago

Summary of landscape of the soul 1 in hindi written material

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Answered by Anonymous
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"Landscape of the soul" ek atirochak chineese katha hai.Is kahani main btaya gya hai ki bohot saal pehle China main ek Samrat hote the jinhone ek prasidh painter ko ek bohot sunder chitra banane ko kaha.Samrat wo sunder chitra apne mehel ki deewar per lagana chahte the.

Jab painter ne chita poora ker liya to woh chitra lekar Mehel gya aur maharaj ko woh chitra dikhaya.Maharaj chitra ko dekhker vismit ho gye the kyuki wo chitra behad sunder tha.Painter samrat ko chitra ke baare main samjahaya ki wo pahad hain,nadiyaan hain,pahadon per chalte insaan hain,ek gufa hai.Gufa

main ek aatma ka niwaas hai.Jab painter ne taali bajayi to gufa ka darwaza khul gya.Fir wo painter us gufa main chala gya.Jaisehi gufa ka darwaza band hua tabhi wo chitra bhi gayab ho gya.Samrat ne ghabraker apn sainikon ko painter ki talash main bheja.Per bohot dhoondne per bhi us painter ka kuch pata nhi chala.

Answered by anushasahu
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चीनी चित्रकार Wu Daozi के बारे में जो 8 वीं सदी में रहता था, एक विस्मयकारी कहानी प्रचलित है उसे सम्राट ने अपने महल की दीवार पर चित्र बनाने के लिए नियुक्त कियाI यह उस चित्रकार की अंतिम कलाकृति थीI उसने अपने चित्राकंन को एक पर्दे के पीछे पूरा कियाI उसे केवल सम्राट ही देख सकता थाI सम्राट ने जंगलों के, पर्वतों के, जलप्रपातोंतथा मेघों, पहाड़ी रास्तों पर जा रहे मानव तथा आकाश में उड़ते पक्षियों के दृश्यों की खूब सराहना की Iपर्वत की तलहटी मे बनी एक गुफा में चित्रकार ने बताया कि वहाँ किसी प्रेतात्मा का वास है Iउसने ताली बजाई और गुफा का प्रवेश द्वार खुल गयाI अंदर का दृश्य उतना ही भव्य था I वह द्वार के अंदर चला गया, सम्राट को भी अपने पीछे बुलायाI पर सम्राट द्वार में प्रवेश कर पाते इससे पूर्व ही द्वार बंद हो गयाI दीवार पर बना चित्र भी लुप्त हो गया Iकलाकार भी फिर कभी नहीं दिखाI

ऐसी कहानियाँ चीन के महान दार्शनिक Confucius  तथा Zhuangi द्वारा लिखित पुस्तकों में आम मिलती है,वे दर्शाते हैं कि उस प्राचीन समय में चीन में कला को किस दृष्टि से परखा जाता थाI इसके विपरीत एक पश्चिमी जगत का चित्र लें Iएक प्रसिद्ध चित्रकार ने जो Flanders का निवासी था, अपने परदादा साँप के चित्र में आँख नहीं बनाई Iउसे भय था कि खुली आँख होने पर वह चित्र से बाहर निकल जाएगा Iयह कहानी पश्चिमी कला जगत की चित्रकला को दर्शाती हैI

तीसरी कहानी है 15वीं शताब्दी के Antwrep की Iएक लोहार को जिसका नाम Quinten Metsys था ,एक चित्रकार की बेटी से प्यार हो गया Iपिता ने उसकी प्रार्थना को ठुकरा दिया क्योंकि वह निम्न कोटि के धंधे वाला था Iइस कारण Quinten नेएकदिन स्टूडियो में प्रवेश करके चित्रकार के एक नए चित्र पटल पर एक मक्खी बना दी I वह इतनी वास्तविक दिख रही थी कि चित्रकार ने उसे उड़ाने की कोशिश की I फिर उसे महसूस हुआ कि उसने क्या कियाI उसने Quinten को अपना शागिर्द बना लिया और फिर Quintenने अपनी प्रेमिका से विवाह कर लिया, साथ ही वह अपने समय के सर्वाधिक विख्यात चित्रकारों में से एक बन गया

ये दोनों कहानियाँ दिखाती है कि कला का क्या लक्ष्य होता हैI यूरोपीय कला तो वास्तविकता चित्रित करने में माहिर थी, पर एशिया में कला का लक्ष्य था आंतरिक जीवन और आत्मा का चित्रांकन करनाI

चीनी कहानी में सम्राट चित्र के बाहरी रूप की प्रशंसा करता है, पर कलाकारउसे चित्र का गूढ़ अर्थ समझाता हैI सम्राट अपने विजित देशों पर तो शासन कर सकता है पर केवल कलाकार ही विश्व के रहस्यों का उद्घाटन करने के लिए उसके अन्दर प्रवेश करने का उपाय जानता हैI

एक शास्त्रीय या अतिप्राचीन चीनी भूदृश्य प्रदेश वास्तविक रूप पेश नहीं करता जैसाकि पाश्चात्य चित्र करते हैंI यूरोपीय पेंटर चाहता है कि आप उस दृश्य को ठीक उसी दृष्टि से देखें जैसे उसने देखा था; एक विशेष कोण सेI चीनी दृश्य चित्र यथार्थवादी नहीं होता Iआप उसके किसी भी बिंदु से प्रवेश कर सकते हैं Iकलाकार तो आपकी दृष्टि के लिए एक आराम से घूमने-फिरने हेतु एक मार्ग बना देता हैI इस विधि को चीन के गोल लिपटे कागज पर बने चित्रों में स्पष्ट देख जा सकता हैI आपको इसके अन्दर समय या अंतराल का आभास मिलता हैI दर्शक की सहभागिता शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार से होती है Iकारण यह है कि वह दृश्य आंतरिक होता है,. अंतरात्मा काI

इस अवधारणा को ‘Shanshui’ द्वारा समझाया गया है Iइसका शाब्दिक अर्थ होता है पर्वत, जल Iयह दोनों शब्द मिलकर किसी भूदृश्य को निरूपित करते हैं Iयह दो पारस्परिक पूरक ध्रुव हैं I ऊपर उठा पर्वत है याँग, जो स्थिर तथा उष्ण होता है I समतल जल है यिनजो धरती पर फैला रहता है,सीलन युक्त तथा ठण्डा I यह मादा है जबकि याँग पुरुष है Iयही है दाओवाद का मूलभावI

स्वीकार करने वाली मादा तथा सक्रिय यंग के बीच में जो विश्व की ऊर्जा के स्रोत हैं, एक तीसरा तत्व भी है–बीच का क्षेत्र जहाँ इन दोनों ऊर्जा के तत्वों का मिलन होता है, यह अत्यावश्यक भी है Iइसी कारण चीनी भूदृश्य  बीच में खाली स्थान छोड़ता चलता हैI यह वह क्षेत्र है जहाँ मनुष्य की प्रमुख भूमिका होती है वह तो धरती के दोनों छोरों, ध्रुव के बीच संवाद का माध्यम है Iवह तो नयनगोचर दृश्य की आँख हैI

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