summary of matru mandir ki aur
of ICSE 10 std
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प्रस्तुत कविता आत्मबलिदान की भावना से ओत-प्रोत कविता है। कवयित्री मन में आए भावों को प्रकट करने के लिए मंदिर जाना चाहती है परंतु उसे ध्यान आता है कि वह तो बहुत ही छोटी है और मंदिर तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत कठिन है। रास्ते में पहरेदार भी बाधक हैं अत: वह ईश्वर से प्रार्थना करती है। कवयित्री को मंदिर में ज्योतियाँ भी दिखाई दे रही है वाद्य भी बज रहे हैं परंतु वह वहाँ तक पहुँच नहीं सकती। कवयित्री शीघ्रता से वहाँ पहुँचना चाहती है।
प्रस्तुत कविता आत्मबलिदान की भावना से ओत-प्रोत कविता है। कवयित्री मन में आए भावों को प्रकट करने के लिए मंदिर जाना चाहती है परंतु उसे ध्यान आता है कि वह तो बहुत ही छोटी है और मंदिर तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत कठिन है। रास्ते में पहरेदार भी बाधक हैं अत: वह ईश्वर से प्रार्थना करती है। कवयित्री को मंदिर में ज्योतियाँ भी दिखाई दे रही है वाद्य भी बज रहे हैं परंतु वह वहाँ तक पहुँच नहीं सकती। कवयित्री शीघ्रता से वहाँ पहुँचना चाहती है।
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