summary of nikki rosi aur rani by mahadevi verma
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निक्की, रोजी और रानी कहानी का सारांश...
‘निक्की, रोजी और रानी’ ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखित एक संस्मरण रेखाचित्र है। यह संस्मरण रेखाचित्र उन्होंने अपनी ‘मेरा परिवार’ नामक रचना में लिखा था।
यह कहानी महादेवी वर्मा जी का पशुओं के प्रति प्रेम तथा स्नेह को प्रकट करती है। इस कहानी में निक्की, रोजी और रानी तीन जानवर हैं। निक्की एक नेवला है तो रोजी टैरियर जाति की एक कुत्तिया थी तथा रानी छोटे कद की एक घोड़ी थी। बचपन में उनकी पांचवी सालगिरह पर उनके पिता ने उनको सबसे पहले रोजी कुत्तिया भेंट में दी थी। वो कुतिया लेखिका के साथ ही खेलती और सोती थी। उसका रंग सफेद और कत्थई था। वो लगभग 13 साल तक लेखिका के साथ रही।
महादेवी वर्मा अपने बचपन में तीनों भाई बहनों के साथ दोपहर में चुपचाप निकल जातीं थीं और दोपहर भर चिड़ियों के घोंसले तोड़तीं, बबूल की सूखी छमिया बीनती। इस तरह वो लोग घूमते घूमते थक जाते तो आम के पेड़ों पर विश्राम करते। डालियों पर झूला-झूलते। इस तरह वह बचपन में खूब मस्तियां करते। इसी तरह एक बार खेलते-खेलते आम के पोखर में उन्हें सूखी पत्तियों के ढेर पर नेवला का बच्चा मिला। वे लोग उसे घर ले आए और वह नेवले का बच्चा भी उनके परिवार का सदस्य बन गया। वह नेवला भी लेखिका के साथ खूब शरारते करता था।उन्होने उसे निक्की नाम दिया था। एक बार उस निक्की नेवले ने बगीचे में क्यारी के पास एक सांप को देखकर उसे मार डाला था। जब लेखिका स्कूल में भर्ती हुई तो निक्की भी उनके साथ गया था।
इंदौर में लेखिका के पिता ने उन्हें एक घोड़ी भेंट में दी। वह एक घोड़ी थी, जिसको वह सभी लोग रानी कहकर पुकारते थे। जिसकी देखभाल छुट्टन नामक साईस करता था। लेखिका और उनके भाई बहन को उस घोड़ी पर खूब मस्ती करते और उसकी पीठ पर बैठकर घूमते-फिरते।
समय बीतता गया। लेखिका और उनके भाई-बहन पढ़ने के लिए बाहर चले गए। जब वे छुट्टियों में वापस लौटे तो पता चला कि निक्की नेवला मर चुका था। रानी घोड़ी को उसके बच्चे पवन सहित किसी को दे दिया गया था। रोजी ही बची थी जो बेहद कमजोर हो चुकी थी।
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Explanation:
निक्की रोजी और रानी महादेवी वर्मा द्वारा लिखी 11 है उन्होंने अपनी परिवार नामक नाम लिखा था यह कहानी महादेव वर्मा जी के पति पत्नी को प्रकट करती है इस कहानी में निक्की रोजी और रानी 301 है तो रानी रियल जाति की थी