Summary of poem "Dopahri" written by shakunt mathur.
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Dopahri is the poem which is written by Shakunt Mathur. In this poem, the poet is talking about the summer.
In summer noontime the roads are really hot like coal. The shadow of the trees are also hot, the leaves are burned.
So far, the horse cart was standing alone. Which will go only when the coachman will hurt the horses with his whip.
Like this, he is talking about summer. After all, he is trying to say we are not coming out in the summer noon because of the hot wind. We wait for evening time. Because in summer the evening is beautiful.
दोपहरी कविता का सारांश :
दोपहरी कविता शकुन्त माथुर के द्वारा लिखी है | कविता में कवि ने ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करना। ग्रीष्म ऋतु गरमी की दोपहरी का वर्णन किया है| समाज के विभिन्न वर्गों पर गर्मी के प्रभाव के बारे में बताया है |
गर्मी के कारण तपे हुए आसमन के नीचे सड़के तारकोल से जल रही है | पेड़ों की भी पत्ते भी गर्मी से मुर्जा गए है | गर्मी से वृक्ष भी कंकालो की तरह हो गए है | चिड़ियाँ भी दो-चार चोंच खोल उड़ रही है छिप रही है | गर्मी के कारण सभी लोग अपने घरों के अंदर है , कोई बाहर नहीं निकल पा रहा है | बाहर बहुत गर्मी पड़ रही है |