summary of poem path ki pehchan
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.chahe aab vo jaisa bhi ho...kyunki vo hmmne khud chuna hai
पथ की पहचान कविता का भावार्थ - हरिवंशराय बच्चन
'पथ की पहचान' कविता हरिवंशराय बच्चन राय द्वारा लिखी गई है|
'पथ की पहचान' कविता में कवि ने पथ पर चलने के पहले मनुष्य को विवेक पूर्वक अपने लक्ष्य को चुनना चाहिए | मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं होनी चाहिए , वह अपना लक्ष्य अपने आप चुनने में श्रेष्ठ होता है, क्योंकि सबसे ज्यादा अपने आप को पहचानता है | दूसरों के जीवन सहायता मिलती , लेकिन अपने लक्ष्य के लिए मेहनत हमें खुद करनी पड़ती है |
हिम्मत और आत्मविश्वास से हमें आगे बढ़ना चाहिए | आगे बढ़ते हुए अपने समय को लेकर अपने लक्ष्य को सामने रख कर सारा ध्यान उसी पर देना चाहिए | कवि जी कहते है जीवन के मार्ग में कितनी भी मुश्किलें आए हमें एक दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ना चाहिए|
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