Hindi, asked by rahulrajspc4140, 1 year ago

summary of poem pehli boond written by gopal krishn kol in hindi

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Answered by nasskhan970
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पहली बूँद कविता में ठाकुरप्रसाद सिंह कहते हैं कि बादल की पहली बूँद वर्षा के पहले चुम्बन के समान है। बादल आंगन पर छा जाते हैं, थका हुआ मटमैला चाँद पत्तियों में से झाँकने लगता है और दूर पपीहा बोलने लगता है।
      पीछे बांस के पेड़ों में हवा का झोंका आता है और पत्तियां चंचल होकर घंटी की तरह आवाज़ करने लगती हैं। रात उमस भरी होती है। इस अँधेरे को चीरता हुआ धुंधला कुहरा फैल जाता है। ऐसे में एक बूँद सतरंगा स्पंदन करती है। 


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