Hindi, asked by Gourav92000, 1 year ago

summary of sandeh jayshankar prasad

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Answered by no2
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रामनिहाल के हाथों में एक कागज़ का बंडल था। वास्तव में ये कागज़ मात्र कागज़ नहीं थे बल्कि मनोरमा के पत्र थे। मनोरमा रामनिहाल को अपना हितैषी समझती थी।मनोरमा पटना निवासी मोहन बाबू की पत्नी थी। वे ब्रजकिशोर के संबंधी थे तथा उनके यहाँ आए हुए थे। रामनिहाल ब्रजकिशोर के यहाँ काम करता था तथा कामकाज से छुट्‌टी पाकर कार्तिक पूर्णिमा को संध्या की शोभा देखने के लिए गंगा किनारे दशाश्वमेघ घाट जाने के लिए तैयार था।उस समय ब्रजकिशोर ने रामनिहाल से मोहन बाबू तथा उनकी पत्नी मनोरमा को साथ ले जाने के लिए कहा क्योंकि उनके पास समय नहीं था। इस प्रकार रामनिहाल की मनोरमा से मुलाकात हुई थी। मनोरमा एक अत्यंत सुंदर स्त्री थी तथा अपने पति मोहन बाबू से उसका वैचारिक मतभेद है इसलिए वह परेशान सी रहती है। वह जानती है कि ब्रजकिशोर उसके पति को अदालत से पागल घोषित करवाने की चेष्टा कर रहे हैं ताकि उनकी संपत्ति के प्रबंधक बना दिए जाएँ। मनोरमा चाहती थी कि रामनिहाल इस संकट से उसे बचाए इसलिए उसने रामनिहाल को पत्र लिखा।
रामनिहाल मनोरमा द्‌वारा लिखे गए पत्र को पढ़ने की इच्छा होने के बावज़ूद भी नहीं खोलना चाह रहा था। वह श्यामा से मन ही मन प्रेम करता था और साथ ही उसके मन में मनोरमा के लिए भी कोमल भाव उत्पन्न होने लगे थे। वह भ्रम की स्थिति में था कि क्या करे, क्योंकि मनोरमा की सहायता करने के लिए उसे श्यामा का घर छोड़कर जाना पड़ेगा। अत: रामनिहाल का मन दुविधा की स्थिति में था।

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