summary of short stories by premchand
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hai!!
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dear friend ****
Good morning ******
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here is ur answer ---------
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प्रेमचंद का जीवन परिचय---
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प्रेमचंद का जन्म स्थान 2880 में बनारस के लम्हे गांव में हुआ था उनका मूल नाम धनपतराय था प्रेमचंद का बचपन अभाव में बीता और शिक्षा b.a. तक ही हो पाई उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए . सन 1936 में इस महान कथाकार का देहांत हो गया
प्रेमचंद की कहानियां मानसरोवर के आठ भागों में संकलित सेवा सदन प्रेमाश्रम रंगभूमि कार्यक्रम निर्मला गबन कर्मभूमि गोदान उसके प्रमुख उपन्यास और नवजागरण माधुरी पत्रिकाओं का संपादन भी किया.
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chapter name -
----------------------- दो बैलों की कथा-
जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है
हम जब किसी आदमी को परले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं अरे गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन उसकी निरापद सहित गुप्ता ने उसे या पदवी दे दी है इसका निचे नहीं किया जा सकता गाय सिंह मारती हैं ब्याई हुई गाय तो अनायास ही का रूप धारण कर लेती है कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है किंतु गधे को कभी कभी करते नहीं सुना देखा जितना चाहो गरीब को मारो चाहे जैसे खराब सड़ी हुई घास सामने डाल दो उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी ना दिखाई देगी वैशाख में चाहे एक आद बार कर लेता हूं पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा उसके चेहरे पर एक विशाल स्थाई रूप से छाया रहता है किसी भी दशा में उसके नहीं बदलते देखे जा सकते हैं उसे बेवकूफ कहते है आदमी उसे बेवकूफ कहता है सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा कदाचित सीधा पर संसार के लिए उपयुक्त नहीं है देखिए ना भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है क्यों अमेरिका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता बेचारे शराब नहीं पीते चार पैसे कुछ समय के लिए बचा कर रखते हैं तो जीत और कर काम करते हैं किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करते 4:00 बजे सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम है कहा जाता है जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं अगर वह भी ईट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद सब कहा आने लगते हैं जापान की मिसाल सामने एक ही है उसे संसार की सब जातियों में बना दिया लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है जो उससे कम ही गधा है और वह है जिसमें हम गधे का प्रयोग करते हैं उसी से मिलते जुलते अर्थ है मैया के ताऊ का भी प्रयोग करते हैं कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है कभी-कभी माता भी है कभी-कभी अवेलबल भी देखने में आता है और और भी कई दिनों से अपना असंतोष प्रकट कर देता है उसका स्थान गधे से नीचे है
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I hope it's help you
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o K
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देवी
रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खड़ा था। सामने अमीनुद्दौला पार्क नींद में डूबा खड़ा था । सिर्फ एक औरत एक तकियादार बेंच पर बैठी हुई थी । पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फ़कीर खड़ा राहगीरों को दुआयें दे रहा था - खुदा और रसूल का वास्ता... राम और भगवान का वास्ता - इस अन्धे पर रहम करो ।
सड़क पर मोटरों और सवारियों का तांता बन्द हो चुका था । इक्के-दुक्के आदमी नजर आ जाते थे । फ़कीर की आवाज जो पहले नक्कारखाने में तूती की आवाज थी, जब खुले मैदानों की बुलन्द पुकार हो रही थी । एकाएक वह औरत उठी और इधर-उधर चौकन्नी आंखों से देखकर फ़कीर के हाथ में कुछ रख दिया और फिर बहुत धीमे से कुछ कहकर एक तरफ़ चली गई । फ़कीर के हाथ में कागज का एक टुकड़ा नजर आया जिसे वह बार-बार मल रहा था । क्या उस औरत ने यह कागज दिया है ?
यह क्या रहस्य है? उसको जानने के कुतूहल से अधीर होकर मैं नीचे आया और फ़कीर के पास जाकर खड़ा हो गया ।
मेरी आहट आते ही फ़कीर ने उस कागज के पुर्जे को उंगलियों से दबाकर मुझे दिखाया और पूछा - बाबा, देखो यह क्या चीज है ?
मैंने देखा-दस रुपये का नोट था । बोला- दस रुपये का नोट है, कहाँ पाया ?
मैंने और कुछ न कहा । उस औरत की तरफ़ दौड़ा जो अब अन्धेरे में बस एक सपना बनकर रह गई थी । वह कई गलियों में होती हुई एक टूटे-फूटे मकान के दरवाजे पर रुकी, ताला खोला और अन्दर चली गई ।
रात को कुछ पूछना ठीक न समझकर मैं लौट आया ।
रात भर जी उसी तरफ़ लगा रहा । एकदम तड़के फ़िर मैं उस गली में जा पहुंचा । मालूम हुआ, वह एक अनाथ विधवा है । मैंने दरवाजे पर जाकर पुकारा- देवी, मैं तुम्हारे दर्शन करने आया हूँ ।
औरत बाहर निकल आई - गरीबी और बेकसी की जिन्दा तस्वीर ।
मैंने हिचकते हुए कहा- रात आपने फ़कीर.......
देवी ने बात काटते हुए कहा-" अजी, वह क्या बात थी, मुझे वह नोट पड़ा मिल गया था, मेरे किस काम का था ।
मैंने उस देवी के कदमों पर सिर झुका दिया ।
- प्रेमचंद
[ साभार - लघुकथा साहित्य ]
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in English translation :
_________________
* *
Goddess
It was a rainy night I was standing in the verandah. Aminuddaula Park in front was standing in the sleep. Only a woman was sitting on a pillow bench. Outside the park, a steward was standing praying for the passers-by - the God and the messenger of Rama ... Ram and Lord Vasta - have mercy on this blind.
The motor and the riders on the road had ceased. Ace-dukkake men would have seen. The voice of Faqir, which was earlier the sound of a slogan in Vaakarkhana, when the call of open fields was being called. Suddenly, the woman got up and looked around with the eyelid eyes and kept something in the hands of Faquir, and then went on one side by saying something very slow. Faqir saw a piece of paper in his hand, which he was stuck repeatedly. Has that woman given this paper?
What is this secret? Being impatient with knowing about it, I came down and stood near Faqir and stood up.
As soon as I came, Faqir showed me the paper piece with the fingers and showed me, Baba, see what is this?
I saw a note of ten rupees. Speech is a ten rupee note, where did you find it?
I did not say anything else. Ran towards the woman who had just become a dream in the darkness. He stopped at the door of a broken house in many streets, opened the lock and went inside.
I did not feel right to ask anything at night, I returned.
Taking the whole night in the same way Then suddenly I got into that street. He knew that he is an orphan widow. I went to the door and cried, "Goddess, I have come to see you.
The woman came out - a live picture of poverty and uncomfortable.
I said hesitantly- the night you cared for .......
Talking about the matter, Goddess said, "Oh, what was that matter, I got the note lying, what was my work.
I bow my head on the steps of that goddess.
- Premchand
[Syllabus - short story literature]
रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खड़ा था। सामने अमीनुद्दौला पार्क नींद में डूबा खड़ा था । सिर्फ एक औरत एक तकियादार बेंच पर बैठी हुई थी । पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फ़कीर खड़ा राहगीरों को दुआयें दे रहा था - खुदा और रसूल का वास्ता... राम और भगवान का वास्ता - इस अन्धे पर रहम करो ।
सड़क पर मोटरों और सवारियों का तांता बन्द हो चुका था । इक्के-दुक्के आदमी नजर आ जाते थे । फ़कीर की आवाज जो पहले नक्कारखाने में तूती की आवाज थी, जब खुले मैदानों की बुलन्द पुकार हो रही थी । एकाएक वह औरत उठी और इधर-उधर चौकन्नी आंखों से देखकर फ़कीर के हाथ में कुछ रख दिया और फिर बहुत धीमे से कुछ कहकर एक तरफ़ चली गई । फ़कीर के हाथ में कागज का एक टुकड़ा नजर आया जिसे वह बार-बार मल रहा था । क्या उस औरत ने यह कागज दिया है ?
यह क्या रहस्य है? उसको जानने के कुतूहल से अधीर होकर मैं नीचे आया और फ़कीर के पास जाकर खड़ा हो गया ।
मेरी आहट आते ही फ़कीर ने उस कागज के पुर्जे को उंगलियों से दबाकर मुझे दिखाया और पूछा - बाबा, देखो यह क्या चीज है ?
मैंने देखा-दस रुपये का नोट था । बोला- दस रुपये का नोट है, कहाँ पाया ?
मैंने और कुछ न कहा । उस औरत की तरफ़ दौड़ा जो अब अन्धेरे में बस एक सपना बनकर रह गई थी । वह कई गलियों में होती हुई एक टूटे-फूटे मकान के दरवाजे पर रुकी, ताला खोला और अन्दर चली गई ।
रात को कुछ पूछना ठीक न समझकर मैं लौट आया ।
रात भर जी उसी तरफ़ लगा रहा । एकदम तड़के फ़िर मैं उस गली में जा पहुंचा । मालूम हुआ, वह एक अनाथ विधवा है । मैंने दरवाजे पर जाकर पुकारा- देवी, मैं तुम्हारे दर्शन करने आया हूँ ।
औरत बाहर निकल आई - गरीबी और बेकसी की जिन्दा तस्वीर ।
मैंने हिचकते हुए कहा- रात आपने फ़कीर.......
देवी ने बात काटते हुए कहा-" अजी, वह क्या बात थी, मुझे वह नोट पड़ा मिल गया था, मेरे किस काम का था ।
मैंने उस देवी के कदमों पर सिर झुका दिया ।
- प्रेमचंद
[ साभार - लघुकथा साहित्य ]
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in English translation :
_________________
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Goddess
It was a rainy night I was standing in the verandah. Aminuddaula Park in front was standing in the sleep. Only a woman was sitting on a pillow bench. Outside the park, a steward was standing praying for the passers-by - the God and the messenger of Rama ... Ram and Lord Vasta - have mercy on this blind.
The motor and the riders on the road had ceased. Ace-dukkake men would have seen. The voice of Faqir, which was earlier the sound of a slogan in Vaakarkhana, when the call of open fields was being called. Suddenly, the woman got up and looked around with the eyelid eyes and kept something in the hands of Faquir, and then went on one side by saying something very slow. Faqir saw a piece of paper in his hand, which he was stuck repeatedly. Has that woman given this paper?
What is this secret? Being impatient with knowing about it, I came down and stood near Faqir and stood up.
As soon as I came, Faqir showed me the paper piece with the fingers and showed me, Baba, see what is this?
I saw a note of ten rupees. Speech is a ten rupee note, where did you find it?
I did not say anything else. Ran towards the woman who had just become a dream in the darkness. He stopped at the door of a broken house in many streets, opened the lock and went inside.
I did not feel right to ask anything at night, I returned.
Taking the whole night in the same way Then suddenly I got into that street. He knew that he is an orphan widow. I went to the door and cried, "Goddess, I have come to see you.
The woman came out - a live picture of poverty and uncomfortable.
I said hesitantly- the night you cared for .......
Talking about the matter, Goddess said, "Oh, what was that matter, I got the note lying, what was my work.
I bow my head on the steps of that goddess.
- Premchand
[Syllabus - short story literature]
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