Summary of sita ki khoj bal ram Katha ch8
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वर्षा ऋतु के समाप्त होने के पश्चात भगवान श्री राम और सुग्रीव ने सीता को खोजने के लिए योजना बनाई। उन्होंने वानरों की अनेक दल अलग-अलग दिशा में भेजें।
वानरों ने सीता मैया को घने जंगलों में, कंदराओं में, भयंकर नदी नालों में हर जगह ढूंढा लेकिन उनका कहीं पता नहीं चल रहा था। जिस कारण श्री राम बहुत ही उदास हो गए। लक्ष्मण और सुग्रीव ने उन्हें दिलासा दी कि वे शीघ्र सीता मैया को खोज लेंगे।
वानरों का एक दल उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा था लेकिन आगे विशाल समुद्र को देख कर रुक गए। तभी जटायु के भाई संपाती ने श्री राम को बताया कि रावण सीता मैया को आकाश मार्ग से लंका की ओर ले गया है।
Answer: सीता की खोज (सारांश)
मारीच वध के पश्चात राम कुटिया की ओर लौटते हैं | सीताजी को कुटिया में न पाकर विरहकातर होकर राम अत्यंत दुखी हो जाते हैं | सीता की खोज में दोनों भाई निकलते हैं । सीताजी की चोटी में गूंथी माला को दक्षिण पश्चिम दिशा में पाकर वे उस ओर आगे बढ़ते हैं।आगे मरणासन्न जटायु से उनकी भेंट होती है जो उन्हें बताता है कि सीताजी का हरण रावण ने किया है ।
जटायु का अंतिम संस्कार कर राम घने जंगलों में कबंध आदी राक्षसों का वध करते हुए आगे बढ़ते हैं |कबंध राक्षस मुठभेड़ के पश्चात् उन्हें पंपा सरोवर के निकट रहनेवाली मतंग ऋषि की शिष्या शबरी का पता बताता है । राम शबरी के पास जाते हैं और शबरी उन्हें ऋष्यमूक पर्वत पर निवास करने वाले निष्कासित सुग्रीव के पास जाने को कहती है जो विशाल वानर सेना से युक्त है जिसकी मदद से वे रावण का वध कर सकते हैं ।