Summary of Sona by Mahadevi Verma (Not too big and not too small)
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सोना की आज अचानक स्मृति हो आने का कारण है। मेरे परिचित स्वर्गीय डाक्टर धीरेन्द्र नाथ बसु की पौत्री सुस्मिता ने लिखा है :
‘गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला था । बीते कुछ महीनों में हम उससे बहुत स्नेह करने लगे हैं । परन्तु अब मैं अनुभव करती हूँ कि सघन जंगल से संबद्ध रहने के कारण तथा अब बड़े हो जाने के कारण उसे घूमने के लिए अधिक विस्तृत स्थान चाहिए ।
‘क्या कृपा करके आप उसे स्वीकार करेंगी ? सचमुच मैं आपकी बहुत आभारी हूँगी, क्योंकि आप जानती हैं, मैं उसे ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहती, जो उससे बुरा व्यवहार करे । मेरा विश्वास है, आपके यहाँ उसकी भली-भाँति देखभाल हो सकेगी ।’
कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूँगी, परन्तु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमलप्राण जीव की रक्षा संभव नहीं है ।
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