Summary of the chapter- aadmi nama
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आदमी नामा कविता में कवि, नज़ीर अकबराबादी ने मानव के विविध रूपों पर प्रकाश डाला है। वे कहते हैं कि मानव जीवन में अनेक संभावनायें छिपी हुई हैं। मानव की परिस्थितियाँ और भाग्य भी भिन्न हैं जिसके कारण उसे भिन्न भिन्न रूपों में जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
इस दुनिया में सभी आदमी हैं। चाहें वो बादशाह हो, गरीब आदमी हो, धनवान हो या कमज़ोर व्यक्ति हो, जिसे खाने की कमी न हो अथवा जिसे रोटी मुश्किल से मिलती हो, भी आदमी है।
फिर कवि आदमी के विभिन्न कामों के बारे में बताते हैं। मस्जिद का निर्माण, उसके अंदर उपदेश देने का काम, वहाँ कुरान नमाज़ अदा करने का काम आदमी ही करता है। मस्जिद के बाहर जूतियाँ चुराने का काम और उनको भगाने का काम भी आदमी करता है।
एक आदमी दूसरे की जान लेने का प्रयास करता है और दूसरा आदमी उसके प्राणों को बचाता है। एक आदमी इज्ज़त लूटता है तो दूसरा आदमी मदद करता है।
इस प्रकार दुनिया में सब काम आदमी ही करते हैं। आदमी ही आदमी का मित्र है और दुश्मन भी है। बुरे और अच्छे दोनों आदमी ही कहलाते हैं।इस पाठ के लेखक नज़ीर अकबर बादी है।।।।
●●●आदमी नामा पाठ में लेखक ने बताया हैं की चाहे कोई अमीर ,गरीब,और जो स्वादिष्ट भोजन खाते है या जो सिर्फ भूख मिटाने के लिए खाना खाते हैं। यह सब है तो आदमी ही न।।।।।।(para-1)
●●●दूसरे पैराग्राफ मैं कहा गया है कि जिस ने मज्जिद बनाया है व जो कुरान का मतलब यह समझा रहे है व जो मज्जिद से जुतिया चुरा रहा है औऱ जो उन पर नजर रख रहा है ।वह सब आदमी ही है।।।।(((पारा-----2))
●●●तीसरे पैराग्राफ मैं लेखक कह रहे है दुसरो की पगड़ी उछालना व वह जो उसको बचाने के लिए दौरा है वह सब आदमी ही है।।(पारा---3)
इस पूरे कविता में यह बताया गया है कि चाहे कोई कैसा भी हो पर वह है तो आदमी ही।।।।।
FOURTH PARA
--kavi kahte hai ki srifo sai bure tak v raja se renk tak sab aadmi hi hai..Yeh admi hi hai jo dil ko lubhate hai v vah bhi admi hi hai jo kale kaam karte hai.Yeh admi hi sant hai v yah admi hi btk hai .Acha bhi admi hi hai jaise njir mhan kavi ...
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tanu ●
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