Summary of the poem waha Janmabhoomi Meri by Sohanlal Dwivedi in Hindi
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वह जन्मभूमि मेरी
कवि:-सोहनलाल द्विवेदी जी
केंद्रीय भाव:-
वह जन्मभूमि मेरी श्री सोहनलाल द्विवेदी द्वारा लिखित देशभक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत कविता है जिसमें भारत देश के गौरवशाली मां का गुणगान किया गया है उत्तर दिशा में घर से सिर उठा हिमालय पर्वत की चोटियां यहां के गौरवशाली संस्कृति का प्रतीक है यह ऋषि मुनियों की पावन स्थली है जहां जन्म लेकर देवता भी धन्य हो गए कवि का संदेश है कि हमें अपने महान देश के महान आदर्श समझना तथा संवर्धन करना चाहिए
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक साहित्य सागर के पद्य खंड में संकलित कविता वह जन्मभूमि से अवतरित है जिस के रचयिता सुप्रसिद्ध कवि श्री सोहन लाल द्विवेदी जी हैं
प्रसंग:- इन पंक्तियों में कवि ने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का वर्णन किया है
भावार्थ:- उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत स्थित है जिसकी ऊंची चोटियां आकाश का स्पर्श करती दिखाई देती है विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत भारत के गौरव का प्रतीक है इस देश के दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत मां के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य पर इतराता है
इस देश में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है जिसका अद्भुत सौंदर्य चारों ओर छाया दिखाई देता है नदियों के पवित्र जल से सिंचित भारत की धरती हरी भरी और सुंदर दिखाई देती है यह धरती पवित्र भांति भांति के खनिज पदार्थों औषधि वनस्पतियों से संपन्न है
ऐसा महान देश मेरी जन्म भूमि है मेरी मातृभूमि मुझे इस सौभाग्य पर गर्व है
झरने अनेक .............मातृभूमि मेरी
भावार्थ:- कवि कहते हैं कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहां की शोभा बढ़ाते हैं इन हरे-भरे वन्य प्रदेशों में चिड़ियों के मधुर कनेरा से वातावरण मदमस्त हो जाता है आम के घने बगीचों में वसंत ऋतु के आगमन पर कोयल की मीठी कुक सुनाई देती है भारत के दक्षिण में स्थित हिमालय पर्वत से बहने वाली शीतल और सुगंधित हवा प्राणियों को तन मन को स्फूर्ति व ताजगी से भर देती है
यहां अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह देश कर्म प्रधान देश है इसकी सेवा सम्मान है मेरा भारत भूमि मेरी मातृभूमि है जो मुझे सदैव कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है
जन्मे जहां.......... मेरी
भावार्थ:- जन्म देने वाले वीर महापुरुषों का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि इस देश में रघुकुल में श्री राम का जन्म हुआ जो मर्यादा पुरुषोत्तम है उनका जीवन चरित्र मानव जीवन का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत करता है यहां सीता जैसी पतिव्रता वह धर्म परायण स्त्री का जन्म हुआ जिन्होंने नारी धर्म का आदर्श स्थापित किया यह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने जन्म लिया जिन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश देकर मनुष्य को निष्काम कर्म की शिक्षा दी बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने मानव को प्रेम और अहिंसा का पाठ पढ़ाया उनके मन के दीपक से आज विश्व के अनेक देश से अलौकिक हैं बुद्ध ने लोगों को माया मोह आदि विकारों से मुक्त होकर ज्ञान मार्ग पर चलने का संदेश दिया है
कवि कहते हैं कि यह भारत भूमि मेरी जन्म भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म और न्याय के रक्षक है
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Answer:
प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के नायक श्रीराम और सीता तथा वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत के नायक भगवान श्रीकृष्ण का ज़िक्र किया है। भारतीय संस्कृति में राम और कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है जिन्होंने धरती पर पापियों का संहार करने तथा न्याय और धर्म की स्थापना करने के लिए
मानव रूप में जन्म लिया। सीता एक आदर्श भारतीय नारी का प्रतिरूप है जो हर विषम परिस्थिति में भी अपने कर्त्तव्य के पथ से विचलित नहीं होती है।
2. “जग को दया दिखाई, जग को दीया दिखाया” पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि भारत भूमि पर ही कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ ने सांसारिक जीवन का त्याग कर परम ज्ञान की प्राप्ति की और गौतम बुद्ध बनकर वैदिक कर्मकांड के विरुद्ध दया, प्रेम, परोपकार पर आधारित बौद्ध धर्म की स्थापना की। उन्होंने समस्त सृष्टि को प्रेम और दया का महत्त्व बताया और विश्व में व्याप्त अज्ञानता रूपी अँधेरे को ज्ञान रूपी दीये की रोशनी से आलोकित किया।
3. कवि ने ’वह युद्धभूमि मेरी’ के माध्यम से यह कहना चाहा है कि हम भारतीयों के लिए यह संघर्ष की भूमि है जो हमें हर तरह के अभाव, अज्ञान और संताप ( मानसिक पीड़ा) से लड़ने के लिए प्रेरित करता है ताकि हम स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के साथ सम्मान का जीवन व्यतीत कर सकें। ’वह बुद्धभूमि मेरी’ कहने से कवि का तात्पर्य गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धर्म से है। भारत में ही बौद्ध धर्म की स्थापना हुई जिसने समस्त विश्व में प्रेम, दया, सहानुभूति और भाईचारे की शिक्षा दी और भारतभूमि का यश बढ़ाया।
4. कवि ने” वह जन्मभूमि मेरी” के माध्यम से भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ उसकी महानता और गौरव का उल्लेख भी किया है। हिमालय के समान अटल एवं उच्च विचार तथा समुद्र की तरह तरल, प्रेमपूर्ण व्यवहार का वर्णन कर भारतीयों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जागृत करना कवि का उद्देश्य रहा है। भारत में मानव और पशु-पक्षी सभी आनन्दित हैं। नदियों की धारा अविरल गति से बहती रहती है जो निरन्तर कर्म करने का संदेश देती है। इस देश में मर्यादा पुरुषोत्तम राम और आदर्श सीता ने अपने चरित्र से मानव जाति को प्रेरणा दी है। श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग तथा बुद्ध के ज्ञान और दया ने इस देश को महिमाशाली बनाया है। भारत पुण्यभूमि, स्वर्णभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, युद्धभूमि और बुद्धभूमि भी है जिसने समस्त मानव जाति को सदियों से प्रेरित किया है और आने वाले समय में भी सबका मार्ग-दर्शन करती रहेगी।
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