summary of the story dadi maa by Krishna sobti
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‘कृष्णा सोबती’ द्वारा लिखित “दादी अम्मा” कहानी का सारांश
“दादी अम्मा” कहानी ‘कृष्णा सोबती’ द्वारा लिखी गई एक मर्मस्पर्शी कहानी है। ‘दादी अम्मा’ कहानी में दादी अम्मा इस कहानी की मुख्य पात्र हैं। इस कहानी में लेखिका ने वृद्धावस्था में उपेक्षित जीवन जी रही एक वृद्ध महिला की मनोदशा और व्यथा का वर्णन किया है।
दादी एक अत्यन्त वृद्ध महिला हैं, उनका भरा पूरा परिवार है, जिसमें पति, बेटा-बहू, पोते-पोतियां, और पौत्रवधुयें आदि हैं। दादी अम्मा किसी समय में पूरे परिवार की मालकिन होती थीं। लेकिन वह आज केवल दादी अम्मा बन कर रह गई हैं। कोई भी उनकी सुध-बुध नही लेता। कोई उनकी बात नहीं सुनता है सब उनकी बात को अनसुना कर देते हैं। उनकी दवा बीमारी आदि की कोई खबर नहीं लेता। घर में यदि कोई शादी-वादी होती है तो भी उनसे कोई सलाह मशवरा नहीं किया जाता। उनके पास बिताने के लिए चार पल किसी के पास नहीं है। तब दादी मां को अपना अतीत याद आ जाता है। जब वह एक दुल्हन बनकर इस घर में आई थीं और कैसे उन्हे अपनी सास से भरपूर स्नेह मिला था। उन्हे वो पल भी याद आ जाता है जब वह इस घर में ‘मेहराँ’ को अपनी बहू बना कर लाई थीं। मेहराँ की गोद भराई थी तो उस दिन दादी अम्मा ने अपने पति को अपना कमरा खाली करने तक को कह दिया था। परन्तु आज समय बदल चुका है। आज इस घर में बहू का साम्राज्य है। वो बहू जो कभी जो कभी उनकी बात को सिर आँखों पर लेती थी, आज स्वयं सास बन जाने पर दादी अम्मा का कोई सम्मान नहीं करती।
दादी अम्मा बूढ़ी हो गई हैं। रोज किसी न किसी बात पर हर एक से लड़ बैठती हैं। वह कहती है कि मेरा घर में अब इतना मान भी नहीं कि तुम लोगों को कुछ कह सकूं। वह सब लोगों को घमंडी होने का ताना भी देती हैं। कभी-कभी आवेश में आकर अपनी बहू को भी ताने दे देती है कि तुम्हें भी ऐसे ही दिन देखने पड़ेंगे। तुम लोगों ने मेरा जीवन दूभर कर दिया है तुम्हारी तीनों बहूयें भी इसी तरह तुम्हारे साथ व्यवहार करेंगी। दादी मां ने जीवन के अनेक उतार-चढ़ाव और वसंत-बहारें देखी हैं। पति के साथ घर के पिछवाड़े में रहती है। एक तरफ उनकी चारपाई है दूसरी तरफ दादाजी की चारपाई।
बाद में दादी माँ बीमार पड़ जाती हैं और शीघ्र ही प्राण त्याग देती हैं, उन्हे मरते समय सुकून था कि उनके अंतिम क्षणों में पूरा परिवार उनके पास था। वो बहू जिस वो हर समय कोसती थीं, उनके बीमार पड़ने पर सबसे अधिक दुखी थी। ये देखकर दादी माँ उसके प्रति मन का मैल मिट गया। उनके सारे गिले-शिकवे मिट गये थे। उनके पति, बेटा-बहू व अन्य परिवार के अन्य सदस्य उनके जाने बहुत दुखी हुये।
Answer:
right
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