Hindi, asked by preetivatsart, 1 year ago

Summary of the story, 'panch parmeshvar' by Premchand

Answers

Answered by AMANDEEP11
5
Panch Parmeshwar is the famous story of Munshi Premchand, who is also known as the Shakespere of Hindi literature.Most Indians have read this short story of two friends Jumman Sheikh and Algu Chaudhary in schools. When Algu Chaudhary is elected as the 'Sarpanch' of the village and passes a verdict against his best friend Jumman, friends become foes. But in due course, when Jumman becomes the 'Sarpanch' and sits on the Judgement seat,he realizes that Algu was right. The one, sitting on the Judgement seat can not be subjective and biased. An ideal Judge (Sarpanch) is always objective and unbiased. For oppressed, a Judge is like a God !

preetivatsart: I need the summary in Hindi. It wud b really kind of u if u can help
Answered by jayathakur3939
3

पंच परमेश्वर  कहानी का सारांश (मुंशी प्रेमचंद )

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में मित्रता थी| उन दोनों के विचार मेल खाते थे| उनकी मित्रता लेन-देन में साझेदारी की थी| ऊँ दोनों में परस्पर विश्वास था | जब जुम्मन शेख हज करने गया तो अपने घर की देखरेख उसने अलगू पर छोड़ रखी थी | अलगू चौधरी भी ऐसा ही करता था | बचपन से ही उन दोनों में मित्रता थी |जुम्मन के पिता जुमराती ही दोनों के शिक्षक थे | जुम्मन का मान विद्या के कारण तो अलगू का सम्मान धन के कारण होता था|

एक ऐसी घटना होती है कि दोनों की मित्रता टूटने लगती है | दरअसल जुम्मन की बूढी खाला ने पंचायत बुलायी | क्योंकि उसकी संपत्ति जुम्मन को मिलने के बावजूद उसकी सेवा ठीक से नहीं हो रही थी | जुम्मन की बीवी करीमन तीखा बोलती थी | जुम्मन की पत्नी करीमन रोटियों के साथ कड़वी बैटन के कुछ तेज-तीखे  सालन भी देने लगी | जुम्मन शेख भी निष्टुर हो गए | अब बेचारी खाला जान को हमेशा ही ऐसी बातें सुननी पड़ती थी|

दूसरी तरफ जुम्मन के अपने तर्क थे –  बुढिया न जाने कब तक जियेगी |दो-तीन बीघे ऊसर क्या दे दिया, मानो मोल ले लिया| बघारी दाल के बिना रोटियां नहीं उतरती | जितना रुपिया इसके पेट में झोंक चुकें, उतने से तो अब तक गाँव मोल ले लेते | अलगू पंच बनाये गए | बूढी खला ने कहा- बेटा क्या बिगाड़ के डर से इमान की बात न कहोगे ? अलगू उधेड़ बन में फंस जाता है | अलगू बार-बार सोचता है- किया बिगाड़ के डर से इमां की बात नहीं कहोगे |

बूढी खाला पंचायत से कहती है – मुझे न पेट की रोटी मिलती है, न तन का कपड़ा | बेकस बेवा हूँ | कचहरी-दरबार नहीं कर सकती | तुम्हारे सिवा और किसको अपना दुःख सुनोऊँ ? तुम लोग जो राह निकल दो उसी पर चलूँ |  अलगू चौधरी पंच थे | उन्होंने हिब्बनामा रद्द करने का फैसला दिया | फैसला को सुनकर जुम्मन शेख सन्नाटे में आ जाता है है | शीघ्र ही एक दूसरी घटना में जुम्मन शेख को एक मौका मिलता है अलगू और समझू साहू के बिच पंच बनने का |

बटेसर मेले से अलगू चौधरी ने बड़े मजबूत बैल ख़रीदे थे | एक बैल उसमे से मर जाता है | अब एक बैल को लेकर अलगू किया करता ? उसने उसे समझू साहू के हाथ से बेच देता है | साहू उससे बेगारी लेता था | खूब पिटाई भी करता था | चारा खाने को भर पेट नही देता था | सड़क पर बैल गिर परता है | वहीँ रात कटनी परती है | लेकिन किसी समय पलक झपकने पर किसी ने समझू साहू का रुपिया गायब कर देता है, कई कनस्तर तेल भी नदारत | सहुआइन इसके लिए अलगू को कोसती है – न निगोड़ा ऐसा कुलच्छनी बैल देता, न जनम भर की कमी लुटती |

अब अलगू के बैल का दाम साहू देने से इंकार कर देता है | गाँव में पंचायत बैठती है | इसबार मंज़र कुछ और था | अलगू वादी है तो जुम्मन पंच | जुम्मन के मन में जिम्मेदारी का भाव पैदा होता है | जुम्मन सोचता है- मैं इस वक़्त न्याय और धर्म के सर्वोच आसन पर बैठा हूँ | मेरे मुह से जो निकलेगा वह देववाणी के होंगे |अंत में जुम्मन ने फैसला सुनाया – अलगू और समझू साहू ! समझू साहू को उचित है की बैल का पूरा दाम दे | सभी प्रसन्न  हुए – पंच परमेश्वर की जय| इसे कहते है न्याय ! यह मनुष्य का काम नहीं , पंच में परमेश्वर वास करते है |  थोड़ी देर बाद जुम्मन अलगू के पास आये | गले मिले और एक मुरझाई हुई दोस्ती में फिर से हरी हो जाती है|

Similar questions