summary on megh aaye
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मेघ आये बड़ी ही अच्छी कविता है । मेघ आये में प्राकृतिक सौन्द्रिय प्रकट किया गया है । इसमें बदलो को दामाद प्रतीत किया गया है । मेघों के आने से हवाएं मस्ती से चलने लगती है । घरो के खिड़की दरवाजे खुलने लगे है ।
ऐसा प्रकट हो रहा है मानो सभी अथिति को देखने के लिए किवाड़ खोल रहे है । आंधी ऐसे जोर से चल रही है जैसे गाँव की युवतियाँ घागरा उठाए तेज से दौड़ रही है । पीपल का बूढ़ा वृक्ष ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे बादलों से शिकायत कर रहा हो ।
आकाश में बिजली चमकने लगी है । धीरे धीरे बारिश भी आने लगी । रिमझिम रिमझिम बुँदे बरस रही है ।
★ AhseFurieux ★
ऐसा प्रकट हो रहा है मानो सभी अथिति को देखने के लिए किवाड़ खोल रहे है । आंधी ऐसे जोर से चल रही है जैसे गाँव की युवतियाँ घागरा उठाए तेज से दौड़ रही है । पीपल का बूढ़ा वृक्ष ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे बादलों से शिकायत कर रहा हो ।
आकाश में बिजली चमकने लगी है । धीरे धीरे बारिश भी आने लगी । रिमझिम रिमझिम बुँदे बरस रही है ।
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मेघा आए कविता महाकवि श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी द्वारा रचित कविता हैं।
यह कविता प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है । इस कविता में बादलों को सजे - धजे मेहमान के रूप में दर्शाया गया हैं । जिस प्रकार गाँव में शहर के मेहमान आने पर वातावरण खुशियों से भर जाता है , उसी प्रकार मेघों के आने से कवि ने कविता में अत्यंत प्रसन्नता भरे वातावरण को दिखाया है ।
कवी को प्रकृति से बहुत लगाव था । इस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया है कि प्रकृति की सुंदरता के समक्ष कुछ भी नहीं हैं ।
यह कविता प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है । इस कविता में बादलों को सजे - धजे मेहमान के रूप में दर्शाया गया हैं । जिस प्रकार गाँव में शहर के मेहमान आने पर वातावरण खुशियों से भर जाता है , उसी प्रकार मेघों के आने से कवि ने कविता में अत्यंत प्रसन्नता भरे वातावरण को दिखाया है ।
कवी को प्रकृति से बहुत लगाव था । इस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया है कि प्रकृति की सुंदरता के समक्ष कुछ भी नहीं हैं ।
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