summary on neta ji ka chaahma in hindi?
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नेताजी का चश्मा' पाठ देशभक्ति से ओत-प्रोत व्यक्तियों की कहानी है। इस कहानी के लेखक 'स्वयं प्रकाश' हैं। इस कहानी के सूत्रधार हालदार साहब हैं। एक बार वह एक स्थान पर नेताजी की पत्थर की मूर्ति पर असली का चश्मा देखकर हैरान रह जाते है। कैप्टन इस कहानी का मुख्य पात्र है। वह कभी आंदोलनकारियों के साथ आज़ादी पाने के लिए लड़ा नहीं है। युद्ध में भी उसने कभी भाग तक नहीं लिया है। परंतु सही मायनों में वह एक सच्चा देशभक्त था और अपने नाम की सार्थकता को सिद्ध करता है। देश मात्र सीमाओं से बंधे भूमिखण्ड का नाम नहीं होता। देश बनता है, अपने लोगों से, सभ्यता से, संस्कृति से, वहाँ के जीव-जन्तुओं से, नदियों से पहाड़ों आदि से। जो अपने देश की हर वस्तु से प्रेम करता है, सही मायनों में वही सच्चा देशभक्त कहलाता है। एक देश में रहते हुए भी हम देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। हमारी ज़िम्मेदारियाँ हमारे परिवार तक और घर तक सिमट कर रह जाती हैं। 'नेताजी का चश्मा' हमारी उन्हीं ज़िम्मेदारियों को हमें याद दिलाता है। कैप्टन जिस तरह नेताजी की प्रतिमा पर चश्मा लगाकर उनका गौरव कायम रखने का प्रयास करता है, ऐसे लोग कम ही देखने को मिलते हैं। कैप्टन के मरने पर हलदार को लगता है कि देश से प्रेम करने वाले लोग इस दुनिया में शेष नहीं हैं। परन्तु नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे से बना चश्मा, उसकी धारणा को बदलकर रख देता है। यह एक संकेत है कि देश में अब भी देश-प्रेमी जीवित हैं, जिन्हें अपने देश से और उनसे जुड़ी हर वस्तु से प्यार है।