Suppose
There is farewell Party of class 12th. Write a speech to address your Juniors using quotes in Hindi
1)t must be about 5-8 Minutes
2) Filled with excitement
4)Your view about school
3) Content a short poem of 8-10 lines filled with Joy Juice
Answers
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यहां पे उपस्थित सभी शिक्षकों को और मेरे मित्रों को सुप्रभात। आज मैं मान्या राजपूत आज आप सब के समक्ष एक स्पीच देने के लिए उपस्थति हूं। जैसा कि हम सब जानते है कि आज कक्षा बारहवीं के छात्र एवं छात्राओं का आज इस विद्यालय में आखिरी दिन है और आज हम सब यहां से हमेशा के लिए चले जाएंगे।
फेयरवेल एक ऐसा दिन है जो हम में से कोई भी नहीं चाहता कि आए। शब्द कम पड़ जाते है जब कोई हमें अपने विद्यालय के बारे में पूछता है। यह वही विद्यालय है जहां मैं नहीं आना चाहती थी लेकिन यही वह जगह है जहां से जाते वक्त आज मेरी आंखे भर आ रही है। इस स्कूल ने मुझे पता नहीं कितनी अनमोल यादें दी है जो शायद ही भुलाया जा सके।
विद्यालय सबके जीवन में मह्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके साथ हमारी कहानियां, किस्से, शरारतें, ख्वाहिशें जुड़ी है। आज के बाद हम सब अलग अलग जगह चले जाएंगे। बिना इस बात से परिचित की आगे की जिंदगी कैसी होगी। अब शायद ही कोई ऐसा जगह होगा जहां हम सब एकत्रित होंगे और वही पुरानी यादें ताजी कर पाएंगे।
इस विद्यालय ने हम सब का बचपन बिताया है। हम सब आज इस दिन को उसी दिन के तरह जीना चाहते है। अगर याद करू तो ये सब अभी कल की ही बात लग रही है जब हम सब अपने कंधो पे भारी भारी बैग ले के सुबह सुबह उठ के बस के लिए इंतेज़ार कर रहे होते थे। लग रहा है जैसे ये कल की ही बात है जब सब बच्चे ग्राउंड में खेला करते थे। लग रहा है जैसे कि कल ही हम सब ने अपने अपने हिसाब से विषय ले के अपने भविष्य के तरफ एक कदम उठाया था।
"यादों की लड़ी सी है छाई,
आज विदाई की घड़ी है आई।"
ये दो वाक्य पूरी भावनाओं को व्यक्त कर रहे है। आज यहां। पे मौजुद हर किसी के मन में वही पुरानी यादें है और आंखें नम है। आशा करते है ये विद्यालय इसी तरह से बाकी बच्चों को वह सभी यादें और खुशियां देगा जो हमने पाई है। यह सिर्फ विद्यालय नहीं था, यह हमारा परिवार था जिसके शिक्षकों ने शिक्षा के साथ साथ हमें वह सारी अमूल्य चीजें सिखाई जिसके वजह से आज हम सब एक ऐसे पथ पे खड़े है जहां से हमारा भविष्य सुधरता दिखाई दे रहा है।
हम सब जितना भी धन्यवाद कहे उतना कम होगा। बस आशा है आप सब भी इस विद्यालय से एक ऐसे व्यक्ति बन कर निकले जो सबका मान बढ़ाए और अपना अपना भविष्य सुनिश्चित करे। बस जाते जाते कुछ शब्द कहना चाहूंगी।
ये ज्ञान का मंदिर है,
खुशियों का समंदर है,
आंसूओं का बहार है,
खुशियों की त्योहार है।
आशा है आप भी खुश रहे,
सबकी शान बढ़ाते रहे,
स्मृतियां बनाते रहे,
अपने लक्ष्यों को हासिल करते रहे।
जाना तो नहीं चाहते,
रोना तो नहीं चाहते,
बस यहां से जहां भी जाएंगे,
हमेशा खुशियां ही पाएंगे।
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यहाँ उपस्थित सभी लोगों को मेरी तरफ से सुप्रभात। आज मैं
आपके सामने खड़ा होकर सम्मानित और साथ साथ ही साथ दुख महसूस कर रहा हूँ। सम्मानित इस लिए कि आज मुझे ये भाषण देने का मौका मिला और दुखी इसलिए क्योंकि यह विदाई का वक़्त है।
कक्षा 11 और 12 के बीच बहुत ही अच्छे संबंध रहे। सीनियर होने के नाते हमे विशेषाधिकार प्राप्त हुए और हमारे जूनियर्स की ही वजह से हमे यह मुकाम मिला है। आप सभी ने हमे अलग - अलग तरीकों से प्रेरित किया है। हमारे जूनियर्स हमारे भाई - बहनों की तरह ही एक परिवार समान है।
हमने यहांँ कितने वर्ष तक साथ में शिक्षा ली और स्कूल के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर अपने स्कूल का नाम रोशन किया।
“ एकता में शक्ति होती है ”, हम सभी ने आजतक हर परिस्तिथि में साथ मिलकर अपने स्कूल का मनोबल बढ़ाया है। अगर हम अपनी यादों को पुनः याद करें तो शायद वो कभी ख़तम नहीं होंगी।
सीनियर्स और जूनियर्स ही दो ऎसे विशेष अंग होते है जिनमे कड़वाहट और प्यार स्थापित होता है। हालांकि, यह सत्य है जिससे हम सभी को एक न एक दिन रूबरु होना पड़ता है। आज हमे यह स्कूल छोड़ना पड़ रहा है, कल हमारे जूनियर्स को। यही नियम है। हम चाहे या न चाहें, सब कुछ अंत में समाप्त होता ही है।
जितना मैं इस दिन की ओर देखता हूँ, उतना ही मैं इस विदाई के दिन को नापसंद करता हूँ। लेकिन अंत अनिवार्य है, आखिरकार पेड़ों की पत्तियाँ गिरती ही हैं। हमे भी कभी न कभी किताब को बंद करना ही पड़ता है, इसीलिए हमे अलविदा कहना ही पड़ता है।
आप सभी हमारे दिल का एक अहम हिस्सा है। आपकी यादे हमेशा हमारे दिल में रहेंगी। गलतियों से मत डरना, डूबने और गिरने से भी मत डरना क्यूंकि ज्यादातर समय हमे उन चीज़ों से बचना है जो हमे डराती हैं। आपको आपकी कल्पना से कही अधिक मिले।
कौन जानता है कि हमे यह जीवन कहाँ ले जाए, सड़क लंबी है और अंत में यात्रा का हर चरण अपने आप में एक मंज़िल होता है।
अपने जीवन के इस पल में, मुझे रवींद्रनाथ टैगोर की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं -
“ अजीब थे ये लम्हें जिसमें हम हँसे भी और रोये भी,
अजीब थे ये लम्हें जिसमें कुछ पाये भी और कुछ खोये भी।
इन लम्हों को एक याद बना के अपने साथ ले जाउँगा,
इन लम्हों की दास्तान फिर किसे सुनाऊंगा, क्योंकि.......
क्या इन लम्हों को मैं फिर से जी पाउँगा? क्या ऐसे माहौल में मैं फिर से वापस आ पाउँगा?
क्या ये कविता इस स्टेज पे मैं फिर से सुना पाउँगा?
मैं जानता हूँ इसका जवाब तो ना ही होगा,
क्योंकि लिखी हुई किताब को मैं फिर से कोरा कैसे कर पाउँगा.
बस इन लम्हों को अपने दिल मे बसा लूँगा,
और जब याद आयेगी आप सबकी तो नम आँखो के साथ मुस्कुरा लूँगा। ”
आप उस पर्वत को ढूंढ सकते हैं जो आपके लिए सही है, सफ़र में सभी को सहायता दें और सहायता प्राप्त करें, धीरज रखें और उन उतार-चढ़ावों के माध्यम से जिनका आप सामना करेंगे, दृढ़ रहें। और महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस सफर की यात्रा शुरू हो रही है उसका आनंद लें। हमेशा याद रखें कि आप कहां जा रहे हैं, लेकिन कभी नहीं भूलें कि आप कहां से आए। हम आपको याद करेंगे।
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