sur ke pad ka kendriya bhav in hindi for class 10
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सूर के पद का केंद्रीय भाव
सूर के पद नामक कविता में सूरदास जी ने पहले पद में भगवान् श्री कृष्ण के बाल रूप और माता यशोदा के पुत्र प्रेम का बहुत ही सुन्दर वर्णन करते हैं | माता यशोदा कृष्ण को पालने में रखकर सुला रही हैं और कृष्ण कभी अपनी आँखे बंद कर लेते हैं तो कभी वे अपने होठों को हिलाते हैं |
दुसरे पद में सूरदास जी श्री कृष्ण के बाल रूप का अति सुन्दर वर्णन करते हुए कहते हैं, जब श्रीकृष्ण घुटने के बल चलते हैं तो उनके पैरो से पायल की मनमोहक आवाज आती है और श्रीकृष्ण माटी में रंग जाते हैं |
तीसरे पद में श्रीकृष्ण चन्द्रमा को खिलौना समझ कर उसे प्राप्त करने की जिद करते हैं और यशोदा माता उसे मनाते हुए कहती हैं की तेरा ब्याह चाँद से भी सुन्दर नयी दुल्हन से करा देंगी | श्रीकृष्ण अब यशोदा माता से अपने ब्याह के लिए कहते हैं |
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