Surdas vatslya ras k samrat the ramchandra shukla ke is kathan k aalok mein surdas ke kuch padon ko nirupit kijiye
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पूर्णिया (हि. स .)।प्रखंड मुख्यालय के सुरदास का जन्मदिन व बालिका दिवस आदर्श विद्यालय भटोत्तर में मनाया गया। वरिष्ठ शिक्षक आनन्द मोहन सिंह ने बच्चों को बताया कि सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म मथुरा-आगरा मार्ग पर स्थित रुनकता नामक गांव में वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी, संवत 1535 विक्रमी को हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास जी का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत् 1540 विक्रमी के सन्निकट और मृत्यु संवत् 1620 विक्रमी के आसपास मानी जाती है। सूरदास जी के पिता रामदास गायक थे। सूरदास जी जन्मांध थे। कहा जाता है कि अंधेपन के कारण सूरदास एक वार कूवां में गिर रहे थे तो भगवान कृष्ण खुद आकर उन्हें बचाया सूरदास कृष्ण के स्पर्श से ही पहचान लिया कि ये हीं मेरे आराध्य हैं।श्री कृष्ण अपना हाथ झटके से छुड़ा लिया सूरदास ने कृष्ण से कहा "हाथ छुड़ाए जाता हो निबल जानिए के मोहि, हृदय से जब जाओगे सबल सराहों तोहे"। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षा दे कर कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास जी अष्टछाप कवियों में एक थे। सूरदास जी की मृत्यु गोवर्धन के पास पारसौली ग्राम में 1563 ईस्वी में हुई। जयन्ती पर बच्चों ने सूर की भक्ति एकांकी का भी मंचन किया। मौके पर शकीला बेगम, राजकुमार, वसंत कुमार, हरिशंकर कुमार, निर्मला देवी, कुमारी वीणा मिश्रा, आदि उपस्थित थे।
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