susanskaro se manushya ka vyaktitva sampan Banta Hai Is par Apne vichar likhiye
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मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास में संस्कारों का सर्वप्रथम स्थान है। लोगों का सदा से ही विश्वास रहा है कि मनोविचारों का प्रभाव मनुष्य की कार्य करने की प्रवृत्ति और शक्ति पर पड़ता है। इस प्रकार संस्कार भविष्य के लिए प्रगति का संदेश देते हैं और उत्साह बढ़ाते हैं। मानव जीवन की प्रगति के पथ में संस्कार सोपान के समान हैं, जो क्रम से उसको अधिक ऊँचा उठाते जाते हैं। मुनिवर पराशर ने संस्कारों की उपयोगिता का उल्लेख इन शब्दों में किया है-”जिस प्रकार चित्रण अनेक रंगों के द्वारा प्रस्फुटित होता है, वैसे ही विधिपूर्वक संपन्न किए हुए संस्कारों के द्वारा व्यक्ति में ब्राह्मणत्व का विकास होता है।”
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jrkyadav152:
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यह कथन बिल्कुल सही है कि सुसंस्कारों से मनुष्य का व्यक्तित्व संपन्न बनता है। बिना संस्कार के कोई भी मनुष्य सफल नहीं हो सकता है।
संस्कार वह है जो किसी भी इंसान के व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है। यह हर इंसान को एक सज्जन व्यक्ति बनाता है।
संस्कार इंसान का सोपान होता है। किसी भी इंसान की अपने जीवन में सफल होने हेतु तथा एक सभ्य नागरिक बनने के लिए उसमे संस्कार होना बहुत जरूरी है।
संसकरी व्यक्ति को समाज में भी बहुत सम्मान मिलता है तथा वह दूसरों के हित के लिए भी कार्य करता है।
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