swachh vatavaran hindi essay
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स्वच्छ वातावरण | svachchh vatavaran. Clean Atmosphere
एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छता प्रथम शर्त है| स्वच्छता का दायरा सीमित नहीं है| ये व्यक्तिगत सार-संभाल से प्रारम्भ होकर सम्पूर्ण परिवेश को समाहित करता हैअर्थात पूरे वातावरण की स्वच्छता से सम्बन्ध रखता है| प्रकृति ने हमे सब संसाधन शुद्ध रूप में दिए है चाहे वो हवा हो या जल, फल-फूल हो या फसले| हम इन्सान ही सब जगह गंदगी फैलाते है| नहीं तो प्रकृति ने उत्तम व्यवस्था की है जैसे कीड़ो को पक्षी खत्म करते है, पक्षियों को बड़े पक्षी| कोई भी पशु पक्षी कभी गंदगी नही करते| उनके मल मूत्र प्राकृतिक खाद का कार्य करते है| अत: हमे स्वच्छता को एक आदत बनाकर सब ओर स्वच्छता रखनी चाहिए तभी हमारी पृथ्वी दीर्घायु होगी|
सर्वप्रथम हम ये विचार करे कि स्वच्छता क्यों रखनी चाहिए| गंदगी से अनेकों बीमारियाँ फैलती है| इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है| गावों में आज भी कई लोग खुले में शौच जाते है जिससे संक्रमण होता है और ये अक्सर जानलेवा भी हो सकता है| स्वास्थ्य का अर्थ सिर्फ शरीर से ही स्वस्थ रहना नही है वरन मानसिक,भावनात्मक और बौद्धिक रूप से भी स्वस्थ रहना है| स्वच्छता हमारे गौरव में भी अभिवृद्धि करती है| अगला बिंदु ये विचारणीय है कि स्वच्छता के लिए क्या कदम उठाये जा सकते है| जैसे हम स्वयं रोजाना नहाकर धुले हुए कपड़े पहनते है वैसे ही हमें अपने आस- पास भी सफाई रखनी चाहिए| ह्में सार्वजनिक स्थानों पर कचरा कूड़ेदान में ही डालना चाहिए और अन्यजनों को भी इस हेतु प्रेरित करना चाहिए| हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए| अपनी कॉलोनी, स्कूल कालेज परिसर व अन्य कहीं भी कचरा इधर-उधर नही डालना चाहिए| बच्चे अभिभावकों का अनुसरण करते है अत: बच्चों को भी स्वच्छता रखने हेतु जागरूक बनाना चाहिए| भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा २०१३ में स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ किया गया और २०२०तक इसे सफल बनाने का लक्ष्य रखा गया है| देश स्वच्छ रहेगा तो पर्यटन में भी बढ़ावा होगा और हमारे देश की साख विदेशों में भी बनेगी|
अत: निष्कर्ष रूप में हम कह सकते है कि स्वच्छ वातावरण रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है और एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमे सर्वदा इसका पालन करना चाहिए| एक अच्छी शुरुआत स्वयं से होकर समष्टि में व्याप्त होनी चाहिए| सभी भारतवासी समर्पित होकर इस अभियान को सफल बना सकते है और भावी पीढी में इसे आदत के रूप में विकसित कर सकते है|
Explanation:
पर्यावरण के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं किया जा सकता है | क्योंकि पर्यावरण द्वारा ही इस पृथ्वी पर जीवन संभव है |
पर्यावरण हमारे स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध जल, शुद्ध वायु और शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है | पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी पेड़-पौधे, जीव-जंतु सभी प्रकृतिक वनस्पतियाँ पूरी तरह से पर्यावरण पर ही निर्भर हैं |
संपूर्ण ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसमें जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है | हम अपने दैनिक जीवन में, जिस पौधे की शुद्ध हवा लेते हैं, पानी, अग्नि, सभी जीवित पशु-पक्षी जानवर यह सभी पर्यावरण का महत्वपूर्ण अंग है |
यदि प्रकृति के संतुलन में किसी भी प्रकार का रुकावट आता है तो उसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ता है |
कई प्रकार की बाधा वातावरण को पूरी तरह से प्रभावित करता है, जो जीवन को नष्ट कर देता है | मनुष्य की उन्नति जीवन स्तर के युग में वायु, प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, वनों की कटाई, जल प्रदुषण, मिट्टी प्रदुषण, अम्ल वर्षा और तकनिकी प्रगति के माध्यम से मनुष्य द्वारा किये गए खतरनाक आपदाओं के रूप में प्रभावित हो रहा है |