swachhata Abhiyan sambandhit baithak ke liye Suchna
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भारत में ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, भारत सरकार की प्रथम पंचवर्षीय योजना के रूप में 1954 में शुरू किया गया था| 1981 की जनगणना से पता चल किया गया था| 1981-90 के दौरान पेयजल एवं स्वच्छता के लिए अंतराष्ट्रीय दशक में ग्रामीण स्वच्छता पर जोर देना शुरू किया गया| भारत सरकार ने वर्ष 1986 में केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया जिसका उद्देश्य प्राथमिक रूप से ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना तथा महिलाओं को निजता एवं सम्मान प्रदान करना था| 1999 से “सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान” के अंतर्गत “मांग जनित” दृष्टिकोण ने ग्रामीण लोगों के बीच जागरूकता तथा स्वच्छता सुविधाओं के लिए मांग सृजन में वृद्धि करने के लिए सूचना, शिक्षा और सम्प्रेषण, मानव संसाधन विकास, क्षमता विकास गतिविधियों पर अधिक जोर दिया| इससे लोगों की आर्थिक स्थिति के अनुसार, वैकल्पिक सूपूर्दगी तंत्रों के जरिए समुचित विकल्पों के चयन करने हेतु उनकी क्षमता में बढ़ोत्तरी करना है| गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करते हूए वैयक्तिक पारिवारिक शौचालयों के निर्माण तथा उपयोग पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए गए|
1.2 स्वच्छता पर जागरूकता सृजित करने के लिए, प्रथम निर्मल ग्राम पुरस्कार 2005 में प्रदान किए गए थे जिनमें पूर्ण स्वच्छता कवरेज और खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों की स्थिति तथा अन्य संकेतकों को प्राप्त करना सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत स्तर प्राप्त उपलब्धियों और किए गए उपायों को मान्यता प्रदान की गई| निर्मल स्थिति प्राप्त करने के लिए समुदाय में इच्छा जागृत करने के लिए इस पुरस्कार को लोकप्रियता प्राप्त हुए जबकि पुरस्कार प्राप्त कुछेक ग्राम पंचायतों में स्थायित्व के मुद्दे बने रहे हैं|
1.3 पहले के सम्पूर्ण स्वच्छता अभिया कार्यक्रम के बदले “निर्मल भारत अभियान” 1.4.2012 से शुरू किया गया था| इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज की गति तेज करना था ताकि नवीकृत कार्यनीतियों और स्वच्छता दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को व्यापक रूप से कवर किया जा सके| निर्मल भारत अभियान (एनबीए) में निर्मल ग्राम पंचायतों की दृष्टि से संतृप्तिकरण परिणामों के लिए समग्र समुदाय को कवर करने की परिकलपना की गई थी| निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत, आईएचएचएल के लिए प्रोत्साहनों में वृद्धि की गई तथा ध्यान संकेन्द्रित किया गया| तथापि, मनरेगा के साथ एनबीए के तालमेल में कार्यान्वयन संबंधी कठिनाइयों आ रही थी क्योंकि विभिन्न स्रोतों से वित्तपोषण में विलंब हुआ था|
1.4 सर्वव्यापी स्वच्छता कवरेज हासिल करने के प्रयासों में वृद्धि करने तथा स्वच्छता पर ध्यान संकेन्द्रित करने हेतु, भारत के प्रधान मंत्री ने दिनांक 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की है| सचिव, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय इस मिशन के समन्वयक होंगे| इस मिशन में दो घटक शामिल हैं- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तथा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जिनका उद्देश्य महात्मा गाँधी की 150वीं वर्षगांठ की सही श्रद्धांजली प्रदान करने के रूप में 2019 तक स्वच्छ भारत की स्थिति प्राप्त करना है| जिसका तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के जरिए स्वच्छता स्तरों को उन्नत बनाना तथा ग्राम पंचायतों को खुले में शौच प्रथा से मुक्त, स्वच्छ एवं साफ – सुथरा बनाना है| इस मिशन में कमियां दूर करने का प्रयास किया जाएगा जो इस समय प्रगति में रूकावट पैदा कर रही थी तथा परिणामों को प्रभावित करने वाले जटिल मुद्दों पर ध्यान संकेन्द्रित किया जाएगा|
1.5 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दिशा – निर्देश और उसके अंतर्गत प्रावधानों को 2.10.2014 से लागू कर दिया गया है|
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Explanation:
“स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है” – महात्मा गांधी
नागरिकपुर एक ग्राम पंचायत है, जहाँ हाल ही में पंचायत चुनाव हुए हैं । चुनाव के बाद नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जैसे कि:
दस्त के कारण बच्चों की मौत हो जाना ।
महिलाओं में निर्जलीकरण के मामले ।
स्कूली बच्चों में अनुपस्थिति की ऊँची दर ।
कभी-कभी सर्पदंश के मामले ।
बाहरी इलाकों (अक्सर शौच करने के क्षेत्र) में महिलाओं से छेड़छाड़ और
संचारी रोगों के कारण कार्य दिवस का नुकसान ।
नागरिकपुर ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों ने ग्राम पंचायत की स्वच्छता संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए अपनी पहली बैठक का आयोजन किया । इस बैठक में चुने हुए सभी प्रतिनिधियों ने भाग लिया । सरपंच ने स्वच्छता के मुद्दों के समाधान के लिए बाहरी सहायता या मदद पर निर्भर न होने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि चूँकि हम इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं और चूँकि भारत के संविधान ने 73वें संशोधन के माध्यम से ग्राम पंचायतों को 29 विषयों की जिम्मेदारी सौंपी है (जिसमें स्वच्छता के मुद्दे भी शामिल हैं), इसलिए इन समस्याओं से निजात पाना हमारा दायित्व है । ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों ने इससे सहमति व्यक्त की तथा 6 माह के अंदर स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया ।
इसी बैठक में दिशानिर्देशों के अनुसार ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वी.डब्ल्यू.एस.सी) का गठन किया गया तथा यह निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत के मार्गदर्शन में वी.डब्ल्यू.एस.सी स्वच्छता में सुधार के लिए कदम उठाएगी ।
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