swapan mein ishwar aur balak ke beech mein sanvad likhen
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सपने में ईश्वर और बालक के बीच संवाद
ईश्वर — पुत्र उठो, देखो कौन आया है।
बालक — आप कौन हैं?
ईश्वर — मैं ईश्वर हूँ, बालक!
बालक — ईश्वर यानी भगवानजी।
ईश्वर — हाँ, बालक ! तुम मुझे कुछ भी कह सकते हो।
बालक — पर आप कौन से भगवान जी हैं, आपके न तो हाथ में त्रिशूल है, न आपके चार हाथ या चार सिर हैं, न ही आपकी सूंड है, न ही आपकी पूंछ है। हमारे घर के मंदिर में बहुत सारे भगवान जी के चित्र और मूर्तियां है, मेरी माँ उन सबका नाम बताती हैं, किसी की नाम शिवजी है, किसी नाम विष्णुजी है, किसी का नाम ब्रह्मजी और सूंड वाले भगवान जी का नाम गणेश जी है। पूंछ वाले भगवान जी का नाम हनुमान जी है। शेर पर बैठी माता रानी दुर्गा हैं, आपका नाम क्या है?
ईश्वर — बालक वो सब मेरे रूप हैं, तुम मनुष्यों द्वारा ही बनाये गये हैं। वरना मेरा कोई रूप नही। मै तो निराकार हूँ। मैं केवल एक हूँ।
बालक — ये निराकार क्या होता भगवानजी ? और अगर आप एक हो तो आपका असली नाम क्या है?
ईश्वर — तुम मुझे ईश्वर कह सकते हो। मेरा कोई विशेष नाम नही। निराकार वो होता है, जिसका कोई आकार अर्थात शरीर नही होता। मेरा भी कोई आकार या शरीर नही है।
बालक — ईश्वर जी मैं क्या मैं आपको भगवान जी कह सकता हूँ? और अगर आपका शरीर नही है तो आप मुझे मनुष्य के शरीर के रूप में कैसे दिख रहे हो।
ईश्वर — हाँ, बालक ईश्वर या भगवान बात एक ही है और मनुष्य से बात करने के लिये मुझे उसी रूप में आना पड़ता है, जिस रूप में तुम मेरी पूजा करते हो।
बालक — भगवानजी ये बताइये कि अल्लाह और गॉड आपके साथ ही रहते हैं।
ईश्वर — बालक ! अल्लाह और गॉड भी मैं ही हूँ, ये तुम लोगों ने मुझे अलग-अलग धर्मों में बांट रखा है। किसी धर्म वाले के लिये मैं भगवान हूँ, किसी धर्म वाले के लिये मैं अल्लाह हूँ, किसी धर्म वाले के लिये मैं गॉड हूँ।
बालक — ये आप क्या कह रहे हैं, भगवान जी। मुझे तो ये बात आज तक किसी ने नही बताई। मैं तो इन सबको अलग-अलग समझता था।
ईश्वर — बालक ! ये ही बात बताने के लिये तो मैं तुम्हारे सपने में आया हूँ ताकि तुम बड़े होकर मेरे नाम और धर्म के नाम पर उन नासमझ मनुष्यों की तरह नही लड़ो। ये जान लो मैं एक ही हूँ। तुम सब लोगों ने मुझे अलग-अलग नाम दे रखा है। तुम एक अच्छे मनुष्य बनो यही मैं चाहता हूँ।
बालक — भगवान जी आपने बहुत अच्छा किया कि इतनी बड़ी बात मुझे बता दी। मैं बड़ा होकर अच्छा मनुष्य बनूंगा।
ईश्वर — अच्छा बालक ! मैं चलता हूँ, मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है।
बालक — प्रणाम भगवान जी।