Swasthya aur vyayam ke upar nibandh
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स्वास्थ्य और व्यायाम
अच्छा स्वास्थ्य महा वरदान है। अच्छे स्वास्थ्य से ही अनेक प्रकार की सख-सविधाएँ प्राप्त की जा सकती हैं।स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कितना पंगु है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार व्यायाम का चुनाव करना चाहिए। व्यायाम कई प्रकार के होते हैं- दंड-बैठक करना, प्रातः भ्रमण, दौड़ना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, योगासन करना, तैरनाव्यायाम का चुनाव करते समय व्यक्ति को अपनी आयु, क्षमता तथा शरीर की विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए। हमें ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिए जिन्हें हमारा शरीर स्वीकार न करता हो। बड़ी आयु के व्यक्तियों को हल्के-फुल्के व्यायाम ही करने चाहिए। व्यायाम और स्वास्थ्य का चोली-दामन का साथ है। रोगी शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव नहीं बीमार मस्तिष्क से उच्च विचारों का प्रस्फुटन असंभव है। जब विचार स्वस्थ नहीं होंगे, तो कर्म की साधना कैसे होगी, और कर्तव्यों का पालन कैसे होगा? अतः शरीर को पुष्ट, चुस्त एवं बलिष्ठ बनाने के लिए व्यायाम आवश्यक हैं।
नेम से व्यायाम को नित कीजिए।
दीर्घ जीवन का सुधा-रस पीजिए।
व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। बुढ़ापा जल्दी आक्रमण नहीं करता। शरीर हल्का-फुल्का, चुस्त तथा गतिशील बना रहता है। शरीर में काम करने की क्षमता बनी रहती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करने वाला होगा, उसका जीवन उतना ही उल्लासपूर्ण तथा सुखी होगा। व्यायाम करने वाला व्यक्ति हँसमुख, आत्मविश्वासी, उत्साही व निरोगी होता है। स्वस्थ शरीर से मन और बुधि भी स्वस्थ हो जाते हैं। व्यायाम करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। स्वस्थ-हँसमुख व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग भी प्रसन्नचित्त रहते हैं।
अच्छा स्वास्थ्य महा वरदान है। अच्छे स्वास्थ्य से ही अनेक प्रकार की सख-सविधाएँ प्राप्त की जा सकती हैं।स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कितना पंगु है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार व्यायाम का चुनाव करना चाहिए। व्यायाम कई प्रकार के होते हैं- दंड-बैठक करना, प्रातः भ्रमण, दौड़ना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, योगासन करना, तैरनाव्यायाम का चुनाव करते समय व्यक्ति को अपनी आयु, क्षमता तथा शरीर की विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए। हमें ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिए जिन्हें हमारा शरीर स्वीकार न करता हो। बड़ी आयु के व्यक्तियों को हल्के-फुल्के व्यायाम ही करने चाहिए। व्यायाम और स्वास्थ्य का चोली-दामन का साथ है। रोगी शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव नहीं बीमार मस्तिष्क से उच्च विचारों का प्रस्फुटन असंभव है। जब विचार स्वस्थ नहीं होंगे, तो कर्म की साधना कैसे होगी, और कर्तव्यों का पालन कैसे होगा? अतः शरीर को पुष्ट, चुस्त एवं बलिष्ठ बनाने के लिए व्यायाम आवश्यक हैं।
नेम से व्यायाम को नित कीजिए।
दीर्घ जीवन का सुधा-रस पीजिए।
व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। बुढ़ापा जल्दी आक्रमण नहीं करता। शरीर हल्का-फुल्का, चुस्त तथा गतिशील बना रहता है। शरीर में काम करने की क्षमता बनी रहती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करने वाला होगा, उसका जीवन उतना ही उल्लासपूर्ण तथा सुखी होगा। व्यायाम करने वाला व्यक्ति हँसमुख, आत्मविश्वासी, उत्साही व निरोगी होता है। स्वस्थ शरीर से मन और बुधि भी स्वस्थ हो जाते हैं। व्यायाम करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। स्वस्थ-हँसमुख व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग भी प्रसन्नचित्त रहते हैं।
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