Hindi, asked by de7eptiUtmmmey, 1 year ago

Swatantrata andolan me mahilaon ki bhi sakriy bhagidari rahi h. unke bare me likhiye

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Answered by neelimashorewala
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भारत कोकिला सरोजिनी नायडू सिर्फ़ स्वएतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं, बल्कि बहुत अच्छीा कवियत्री भी थीं. गोपाल कृष्ण गोखले से एक ऐतिहासिक मुलाक़ात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. दक्षिण अफ्रीका से हिंदुस्तासन आने के बाद गांधीजी पर भी शुरू-शुरू में गोखले का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था. सरोजिनी नायडू ने खिलाफ़त आंदोलन की बागडोर संभाली और अग्रेजों को भारत से निकालने में अहम योगदान दिया. 

मैडम भीकाजी कामा ने आज़ादी की लड़ाई में एक सक्रिय भूमिका निभाई थी. इनका नाम इतिहास के पन्नोंज पर दर्ज है. 24 सितंबर 1861 को पारसी परिवार में भीकाजी का जन्मत हुआ. दृढ़ विचारों वाली भीकाजी ने अगस्तद 1907 को जर्मनी में आयोजित सभा में देश का झंडा फ़हराया था, जिसे वीर सावरकर और उनके कुछ साथियों ने मिल कर तैयार किया था, यहे आज के तिरंगे से थोड़ा भिन्नई था. भीकाजी ने स्वोतंत्रता सेनानियों की आर्थिक मदद भी की और जब देश में ‘प्ले ग' फैला तो अपनी जान की परवाह किए बगैर उनकी भरपूर सेवा की. स्व तंत्रता की लड़ाई में उन्होंेने बढ़-चढ़कर हिस्साप लिया

सुचेता एक स्वतंत्रता सेनानी थी और उन्होंने विभाजन के दंगों के दौरान महात्मा गांधी के साथ रह कर कार्य किया था. इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई थी. उन्हें भारतीय संविधान के निर्माण के लिए गठित संविधान सभा की ड्राफ्टिंग समिति के एक सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था. उन्होंने भारतीय संविधान सभा में ‘वंदे मातरम’ भी गाया था. आज़ादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. दुर्गा बाई देशमुख महात्मा गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित थीं. शायद यही कारण था कि उन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया व भारत की आज़ादी में एक वकील, समाजिक कार्यकर्ता, और एक राजनेता की सक्रिय भूमिका निभाई. वो लोकसभा की सदस्य होने के साथ-साथ योजना आयोग की भी सदस्य थी. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र से लेकर महिलाओं, बच्चों और ज़रूरतमंद लोगों के पुनर्वास तथा उनकी स्थिति को बेहतर बनाने हेतु एक ‘केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड’ की नींव रखी थी.
 
कमला विवाह के बाद जब इलाहाबाद आईं तो एक सामान्यप, कम उम्र की नई नवेली दुल्हन भर थीं. लेकिन समय आने पर यही शांत स्वाभाव की महिला लौह स्त्रीव साबित हुई, जो धरने-जुलूस में अंग्रेजों का सामना करती, भूख हड़ताल करती और जेल की पथरीली धरती पर सोती थी. नेहरू के साथ-साथ कमला नेहरू और फ़िर इंदिरा की प्रेरणाओं में देश की आज़ादी ही सर्वोपरि थी. असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर शिरकत की थी. 








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