Swayamvar Sthal per Dhanush Todne Wale Ko Parshuram Ne kis Prakar dhamkaya
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श्री राम ने जब सीताजी से विवाह के लिए शिवजी का धनुष तोड़ा तब परशुरामजी इस बात से बोहोत क्रोधित हुए।उन्होंने कहा कि जिसने भी शिवजी का धनुष तोड़ा है में उससे मिलना चाहता हूं।
श्री रामचंद्र ने कहा हे मुनि पुराना धनुष था, छूते ही टूट गया इस पर मैं किस कारण अभिमान करूं। एक छोटी सी भूल पर आप इतना गुस्सा मत करें। श्री रघुनाथ जी के वचन सुनकर परशुरामजी की बुद्धि के परदे खुल गए। वो समझ गए कि इस शिव धनुष को तोड़ने वाला कोई साधारण पुरुष नहीं हो सकता तब उनकी समझ में आया कि यह तो साक्षात प्रभु राम हैं। परशुरामजी बोले - प्रभु, क्षमा करना, मुझसे भूल हो गई, मैंने अनजाने में आपको बहुत से अनुचित वचन कहे। मुझे क्षमा कीजिए।
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