ताहि अहीर की छोरियां , छछिया भरी छाछ पै नाच नचावत, का काव्य सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए
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'ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
इन पंक्तियों का काव्य सौंदर्य इस प्रकार है...
भाव सौंदर्य ➲ इन पंक्तियों में भक्ति की पराकाष्ठा प्रकट हुई हैं। गोपिया कृष्ण के प्रेम आसक्त होकर उनके मुट्ठी भर मट्ठे के लिये नाच नचा रही हैं। जब भक्त भगवान के रूप लावण्य पर आसक्त होकर अपनी भक्ति को रूप-लावण्य केंद्रित होता है, तो वहाँ रूपासक्ति प्रकट होती है।
शिल्प सौंदर्य ➲ पंक्ति में ‘छोहरियाँ, छछिया, छाछ’ तथा नाच नचावत शब्दों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है। पंक्ति में श्रंगार और भक्ति रस का समन्वय है। ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है, तथा तद्भव शब्दो की प्रयुक्ति हुई है।
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