Hindi, asked by surajkr5577, 11 months ago

तो हम सौ लाख बार बनाएँगे' इस कथन के संदर्भ में सूरदास के चरित्र का विवेचन कीजिए।

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Answered by nikitasingh79
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तो हम सौ लाख बार बनाएँगे' इस कथन के संदर्भ में सूरदास के चरित्र का विवेचन निम्न प्रकार से है :  

झोपड़ी के जल जाने और रुपए की पोटली के खो जाने के कारण हताश , निराश सूरदास में अजीब शक्ति और उत्साह का संचार होता है। वह उठ खड़ा होता है और अपने दोनों हाथों से राख के ढेर के ऊपर उड़ाने लगता है तभी वहां घीसू और मिठुआ के साथ लगभग 20 लड़के आकर सूरदास के साथ राख को उड़ाने लगते हैं। वे सूरदास से अनेक प्रश्न करते हैं वह बिना वहां रात की वर्षा होने लगी। सारी रात इधर-उधर बिखर गई। भूमि पर अब केवल काला निशान रह गया था। इसी समय मिठुआ सूरदास से पूछता है "दादा अब हम कहां रहेंगे ? " सूरदास उत्तर देता है, "दूसरा घर बनाएंगे ।" अगर फिर किसी ने आग लगा दी तो मिठुआ के प्रश्न का उत्तर देते हुए सूरदास कहता है, "तो फिर घर बनाएंगे।" "हजार के बाद सौ लाख बार अगर हमारा घर जला दिया तो?" मिठुआ इस प्रश्न के उत्तर में सूरदास का दृढ़ निश्चय बोल उठता है , " तो हम सौ लाख बार बनाएँगे।"

इस वाक्य में सूरदास के चरित्र की महत्वपूर्ण विशेषता व्यक्त होती है कि वह दृढ़ निश्चय पक्के इरादे का व्यक्ति है । वह परिश्रमी, भावुक संवेदनशील और हठी स्वभाव का व्यक्ति है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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Answered by rahulsingh91
1

Answer:

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