टाइटेनिक और सनविस्टा जलयानों की दुर्घटनाओं में क्या अंतर रहा?
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टाइटैनिक दुर्घटना को सौ साल हो गए हैं, लेकिन आज भी ऐसा कोई जहाज नहीं जिसके डूबने का खतरा न हो. सच तो यह है कि आधुनिक यात्री जहाजों के पलटने का खतरा ज्यादा है.
आधुनिक तकनीक के जरिए इंजीनियर काफी कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे जहाज सुरक्षित हो सकें. टाइटैनिक को अनसिंकेबल यानी कभी न डूबने वाला जहाज कहा जाता था. लेकिन इसे ऐसी नजर लगी कि पहली ही यात्रा के दौरान यह दुर्घटनाग्रस्त हुआ और 1,500 लोगों की जान ले बैठा. इस दुर्घटना के कारण बड़े देशों की सरकारों को जोरदार धक्का लगा और उन्होंने सुरक्षा पर काम करने की ठानी. इसका नतीजा 1914 में बना सोलास, यानी समुद्र में सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय करार. तब से अब तक जहाजों का बनना, चलना सब कुछ सोलास के नियमों के हिसाब से चलता है. इस समझौते को तकनीक में बेहतरी के साथ कदम मिलाते हुए समय समय पर बदला जाता है. लेकिन जहाज बनाने में आने वाली समस्या बदली नहीं है.