Hindi, asked by parhladnunia, 1 year ago

तुक वह है जो देवदारु की गगनचुंबी शिखा और समाधिस्थ महादेव की निवात-निष्कंप प्रदीप की ऊर्ध्वगामिनी ज्योति
में है। अर्थात् तुक अर्थ में रहता है। ध्वनि-साम्य के तुक में कुछ न कुछ अर्थचारुता होनी चाहिए। ध्वनिसाम्य साधन
है, तुक अर्थ का धर्म होना चाहिए। मगर कहना खतरे से खाली नहीं है। किसी नये आलोचक ने अर्थ की लय की
बकालत की है। में अच्छी तरह जानता हूँ कि सारी पण्डित-मण्डली उस गरीब पर बरस पड़ी है।
शब्दार्थ-गगनचुंबी = आकाश की छूने वाली। समाधिस्थ = समाधि की अवस्था में स्थित । निबात = शांत । निष्कंप = अचल,
प्रदीप दीपका। ऊर्ध्वगामी - ऊपर की और गमन करने वाली। अर्थ-चारुता = अर्थ का सौन्दर्य vyakhya​

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Answered by lisaRohan
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hiii It's u r answer

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अर्थात् तुक अर्थ में रहता है। ध्वनि-साम्य के तुक में कुछ न कुछ अर्थचारुता होनी चाहिए। ध्वनिसाम्य साधन

है, तुक अर्थ का धर्म होना चाहिए। मगर कहना खतरे से खाली नहीं है। किसी नये आलोचक ने अर्थ की लय की

बकालत की है। में अच्छी तरह जानता हूँ कि सारी पण्डित-मण्डली उस गरीब पर बरस पड़ी है।

शब्दार्थ-गगनचुंबी = आकाश की छूने वाली। समाधिस्थ = समाधि की अवस्था में स्थित

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