तुम मांसहीन तुम रक्तहीन हे असिथशेष तुम असिथहीन में अलंकार
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utpreksha alankar.......
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उत्प्रेक्षा अलंकार
जब शब्दों में समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने की कल्पना करी जाए या फिर संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
दिए गए वाक्य में मांसहीन का शाब्दिक अर्थ बिना चमड़ी वाला व्यक्ति परन्तु यहाँ इसका अर्थ इसकी चमड़ी से नहीं इसके प्रारूप है। इसी प्रकार रक्तहीन का अर्थ न दिखने वाली सजीव वास्तु से है जिसकी कल्पना कवि कर रहा है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
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