तुम पर्दे का मhtav नहीं जानते पंक्ति से लिखो क्या कहना चाहते हैं
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अगर आपको यह पसंद आया हो तो ,कृप्या मुझे फॉलो जरूर किज़ीए गा और मेरे उत्तर को ध्न्यवाद और ब्रेनलिस्ट जरूर दिजीए गा |
Explanation:
प्रेमचंद ने कभी पर्दे को अर्थात लुकाव-छिपाव को महत्व नहीं दिया। उन्होंने वास्तविकता को कभी ढँकने का प्रयत्न नहीं किया है। लोग अपनी बुराइयों को कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया।
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