तृण में पुलकावलि कैसे भर उठती है
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ok
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नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-चल झूम-झूम सिर नीम हिलातीं सुख से विह्वल। उत्तर: धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर रज के कण-कण में तृण-तृण का पुलकावलि भर।
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