ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में, हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
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गैस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक
गैस की द्रव में विलेयता : प्रत्येक गैस द्रव में कुछ मात्रा में अवश्य विलेय रहती है।
गैस की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक
गैस तथा द्रव की प्रकृति
जो गैस द्रव से क्रिया कर लेती है या द्रव में आयनित हो जाती है , वे द्रव में आसानी से विलेय हो जाती है जैसे NH3 , CO2 आदि।
NH3 + H2O → NH4OH
CO2 + H2O → H2CO3
नोट : HCL गैस जल में आयनित हो जाती है अतः जल में विलेय है।
नोट : रक्त में O3 आसानी से घुल जाती है क्योंकि रक्त में उपस्थित Hb से क्रिया करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाती है।
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रव्य विलेयता मैं हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति का कारण गैसों का द्रव में ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। जैसे-जैसे ताप बढ़ाते हैं, वैसे-वैसे साम्य बायीं ओर विस्थापित होता जाता है और विलयन से गैस मुक्त होती जाती है। नीचे समीकरण दिया है..
गैस + विलायक ↔ विलयन + ऊष्णा
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